झारखंड में स्टाम्प घोटाला हो रहा है : सुधीर श्रीवास्तव
भाजपा नेता ने भू राजस्व मंत्री को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी।
राज्य में दिन के 1 बजे से 6 बजे शाम तक स्टांप नहीं निकलता है।
झारखंड में स्टाम्प निकालना टेढ़ी खीर।
कोर्ट स्टांप दिन के 1 से 6 बजे तक नहीं निकलता है इसके अलावा कोर्ट स्टांप लेने के लिए कैफे में और दलालों के चक्कर में पड़ना ही पड़ेगा।इस व्यवस्था से आहत होकर अधिवक्ता सह भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने भू राजस्व मंत्री श्री दीपक बिरुआ ,राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मांग किया की स्टांप पेपर खरीदने में जो बीच में कमीशन खाई जा रही है उसको रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और इसको इतना सहूलियत बनाया जाए की ₹10 का स्टांप पेपर में ₹10 ही लगे। देश का पहला राज्य ऐसा है झारखंड जहां ₹10 के स्टांप खरीदने के लिए ₹60 खर्च करना पड़ते हैं
सुधीर श्रीवास्तव ने बताया की एक कोर्ट स्टांप निकालने के लिए 50 रुपया से लेकर 150 रुपए तक कमीशन देना पड़ता है भले ही वह ₹10 का स्टांप क्यों ना हो ।अब ऑफलाइन स्टैंप नहीं मिलता है और पूरा राज्य ऑनलाइन स्टाम्प खरीदने को मजबूर है।
दिन के 1:00 बजे से 6:00 बजे तक स्टांप नहीं निकलता है झारखंड सरकार का स्टांप निकालने का जो कोड और लोगो है वह लॉक रहता है यह सब लोगों को समझ से परे है कि क्यों दिन भर स्टांप नहीं निकलता है। दिन के 1 से 6 बजे तक अगर किसी को काम है तो वह काम नहीं हो पाएगा अगले दिन काम करना पड़ेगा।
झारखंड गांव का राज्य है जिसका 80% आबादी गांव में रहता है ।कोर्ट स्टांप जो कि छोटे काम से लेकर जमीन की रजिस्ट्री तक में काम आते हैं उसके लिए कैफे और दलालों के चक्कर में फंसना पड़ता है और तब जाकर स्टांप निकल पाता है,ग्रामीण इससे जूझते रहते हैं पर कोई सुनने वाला नहीं रहता है।
कोई भी नियम कानून समाज एवं आम जनता के सहूलियत के बनाए लिए ना कि समाज एवं आम व्यक्ति को दलालों और कैफे मालिकों के चंगुल में फंसने के लिए।
कचहरी में चारों तरफ स्टांप निकालने के लिए कैफे भरे पड़े हैं एक स्टांप निकालने के लिए कैफे को कितना पैसा लेना है उस पर कोई नियम नहीं है।