Mob Lynching Scaled

कानून पास होने के बाद भी झारखंड में नहीं थम रहा कानून पास होने के बाद भी झारखंड में नहीं थम रहा मॉब लिंचिंग ( Mob Lynching)की घटनायें की घटनायें

Ranchi : झारखंड विधानसभा के शीतकालिन सत्र में 21 दिसंबर 2021 को मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कानून पास किया गया है. विधानसभा में ‘भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक 2021’ को ध्वनिमत से पारित किया गया था. मॉब लिंचिंग कानून पास होने के बाद भी राज्य के मॉब लिंचिंग की घटनाएं नहीं थम रही है. पिछले एक महीने के राज्य के चार जिलों में मॉब लिंचिंग की चार घटनाएं हो चुकी है.
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पलामू में युवक को भीड़ ने पेड़ से लटका कर पीटा
पलामू जिले के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के करमा गांव में बीते 22 दिसंबर 2021 में एक युवक को ग्रामीणों की भीड़ ने पेड़ से लटका कर पीटा था. इसका वीडियो वायरल होने के बाद मामला प्रकाश में आया था. युवक के साथ पिटाई करने वाले लोगों ने उस पर एक युवती के साथ छेड़खानी करने का आरोप लगाया था. युवक सतबरवा थाना क्षेत्र के झाबर गांव का रहने वाला है, जिस पर आरोप था कि करमा के एक युवती के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है. अकसर वह युवक युवती से मिलने गांव जाता था. गांववालों की उसपर नजर थी. दो दिन पहले जब वह मिलने गया तो ग्रामीणों ने उसे पकड़ा,पहले पीटा, फिर पेड से लटका कर पीटा था.
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भीड़ ने पत्‍नी के सामने पति को पत्‍थर से कूचा, फिर जिंदा जलाया
भीड़ ने लकड़ी तस्करी का आरोप लगा एक युवक की दिनदहाड़े हत्या कर शव को जला दिया था. दिल दहला देने वाली यह घटना सिमडेगा जिले के कोलेबिरा थाना क्षेत्र अंतर्गत बेसराजरा बाजार के समीप घटी थी. बीते पांच जनवरी को हुई घटना के वक्त हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.
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ग्रामीण पहले संजू को घर से बुलाकर ले गए, फिर बाजार के समीप मैदान में पंचायत लगी. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि संजू वन क्षेत्र से लकड़ी की तस्करी करता है. जंगल से लकड़ी काटने के आरोप में खूंटकटी के नियम के तहत संजू को मौत की सजा सुनाई गई. इसके बाद तालिबानी अंदाज पत्थरों से प्रहार कर संजू को मौत के घाट उतार दिया गया. जिसके बाद घटनास्थल पर ही लकड़ी का ढेर लगा उसमें आग लगा दी. 32 वर्षीय संजू घटनास्थल से महज 100 मीटर दूर बेसराजरा में ही घर बनाकर रह रहा था. वह मूलरूप से बंबलकेरा पंचायत के छपरीडीपा का रहने वाला था.
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पीडीएस डीलर की पीटकर हत्या

दुमका जिले के हंसडीहा थाना क्षेत्र के धनवे गांव में बीते 19 जनवरी की रात अपनी पीडीएस दुकान बंद कर घर लौट रहे अशोक कुमार मंडल को अज्ञात लोगों ने जमकर पीटा था. दोनों पैर तोड़ दिये और जिससे वो बुरी तरह जख्मी कर दिया. अशोक घायल अवस्था में सड़क के किनारे पड़ा हुआ था, तो किसी ने इसकी जानकारी उसके परिवार वालों को दी. परिवार वालों ने उसे इलाज के लिए पहले सरैयाहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, फिर वहां से गोड्डा जिले के एक निजी अस्पताल में ले गए. जहां आज सुबह अशोक मंडल की मौत हो गई थी.
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गिरिडीह में युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई
गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के सलगाडीह गांव में एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी. यह पिटाई की घटना बीते 11 जनवरी को हुई थी. पिटाई से घायल युवक की मौत बीते 21 जनवरी की सुबह में हो गयी थी. मृतक की शिनाख्त सलगाडीह गांव निवासी तालो मुर्मू के पुत्र जय मुर्मू के रूप में हुई थी. मृतक की पत्नी निर्मला मरांडी ने आवेदन में कहा है कि 11 जनवरी को गांव में सोहराय पर्व मनाया जा रहा था. इसी दौरान गांव के ग्राम प्रमुख संजीत मुर्मू के नेतृत्व में कुछ लोग उनकी निजी जमीन पर गाते-बजाते हुए पहुंचे और नाच-गान करने लगे. इसका उनके पति ने विरोध किया इस पर उनके पति को संजुल मुर्मू उर्फ संजीत, रमेश मुर्मू और उसकी पत्नी, चंदवा मुर्मू और उसकी पत्नी, सांझला मुर्मू व बंसी मरांडी सहित 20-25 लोगों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा . इसके बाद वे लोग उनके पति को अपने साथ ले गये और एक दिन तक भूखा-प्यासा रखा. इस दौरान भी उनकी जमकर पिटाई की गयी और फिर अगले दिन 12 जनवरी को उन्हें जख्मी हालत में घर में लाकर फेंक दिया. जिसके बाद उनके पति की तबीयत बिगड़ती गयी और 21 जनवरी की सुबह उनकी मौत हो गयी.
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जानें मॉब लिचिंग कानून में क्या है सजा का प्रावधान

बता दें कि झारखंड विधानसभा के शीत कालिन सत्र में बीते 21 दिसंबर 2021 को मॉब लिंचिंग के मामलों से सख्ती से निपटने के लिए ‘भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक 2021’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया था. ये विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद कानून बन जायेगा. कानून बनने के बाद मॉब लिंचिंग में शामिल और इसके षड्यंत्रकर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा होगी. इस विधेयक के कानून बनने पर भीड़ हिंसा के दोषी पाए जाने वालों के लिए जुर्माने और संपत्तियों की कुर्की के अलावा तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा यह कानून “शत्रुतापूर्ण वातावरण” बनाने वालों के लिए भी तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान करता है. शत्रुतापूर्ण वातावरण का मतलब पीड़ित, पीड़ित के परिवार के सदस्यों, गवाह या गवाह/पीड़ित को सहायता प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ धमकी या जबरदस्ती करना शामिल है. इतना ही नहीं नये कानून में पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा देने की भी व्यवस्था की गयी है.
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