Jharkhand News :-अब क्लास आठ से 10 के सभी बच्चों को मिलेगा साइकिल, टेंडर की शर्तों में हुआ संशोधन, तीसरी बार प्रक्रिया हुई शुरू
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राज्य के सरकारी स्कूलों के क्लास आठ से 10 में पढ़ने वाले सभी श्रेणी के बच्चों को कल्याण विभाग की ओर से साइकिल दी जाएगी। इसके लिए तीसरी बार प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मिली है। अब तक टेंडर की शर्तों की वजह से साल 2020-21, 2021-22 के बाद अब 2022-23 में भी बच्चों को साइकिल नहीं मिली है। बच्चों को साइकिल मिले इसके लिए टेंडर में संशोधन की बात सामने आयी थी। इसके लिए नया टेंडर प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस प्रस्ताव को कल्याण मंत्री चंपई सोरेन की अनुमति मिल गयी है।
अब तक क्यों नहीं मिला साइकिल
कल्याण विभाग हर साल एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक श्रेणी से आने वाले बच्चों को साइकिल देती है। लेकिन टेंडर की शर्तों की वजह से तीन शैक्षणिक सत्र से साइकिल नहीं खरीदा जा सका। इस वजह से बच्चों को साइकिल नहीं दिया गया है। दरअसल अब तक टेंडर की जो शर्त थी उसके मुताबिक आवेदन करने वाली कंपनी का एनुअल टर्न ओवर 25 लाख होना चाहिए। विभाग ने कहा था कि इस शर्त को पूरा करने वाली कंपनी को छूट दी जाएगी। जबकि इस शर्त के मुताबिक कोहिनूर नाम की एक कंपनी ने ही आवेदन डाला था। जब बात साइकिल देने की आयी तक कोहिनूर कंपनी ने रिक्वायरमेंट के मुताबिक साइकिल देने में असमर्थता जतायी। वहीं विभाग के पास दूसरी कंपनी का विकल्प नहीं था।
122 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का है प्रावधान
कल्याण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक हर साल साइकिल देने का वजट 122 करोड़ रुपये तय है। इस तरह से तीन साल के साइकिल के लिए 366 करोड़ रुपये हो गए हैं। इस बार विभाग ने निर्णय लिया है कि आरक्षित श्रेणी के स्टूडेंट्स के साथ-साथ सामान्य श्रेणी के स्टूडेंट्स को भी साइकिल दी जाएगी। फिलहाल एक साइकिल की कीमत 45 सौ रुपये निर्धारित की गयी है। इससे पहले एक साइकिल की कीमत 35 सौ रुपये रखी गयी थी। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि सब कुछ ठीक रहा तो इस साल आठवीं से दसवीं कक्षा के सभी विद्यार्थियों को एक साथ साइकिल मिल सकेगी।
इसलिए शुरू हुई थी योजना
इस योजना को सरकार ने आठवीं कक्षा से शुरू किया था। माध्यमिक स्कूल से पास करने के बाद बच्चे हाइस्कूल में जाते हैं। पंचायतों में हाईस्कूल की दूरी ज्यादा होती है। बच्चे दूर से आते हैं। उनके आने-जाने में सुगमता हो, इसलिए साइकिल वितरण योजना की शुरुआत की गयी थी। बच्चों के ड्रॉप आउट को रोकने के लिए भी इस योजना को बनाया गया था।






