Land Scam:-चाय बागान की 100 एकड़ की जमीन के रिकॉर्ड में घपला , बुंडू में 10 करोड़ में बेची 1457 एकड़ भूमि, पुंदाग में 100 एकड़ की अवैध जमाबंदी
Land Scam
प्रेरणा चौरसिया
Drishti Now Ranchi
रांची में कई साल से जमीन घोटाला होता आ रहा है. ईडी की कार्रवाई के परिणामस्वरूप जिस तरह से भूमि घोटालों का पर्दाफाश हुआ, उससे गलत भूमि खरीद और बिक्री की शिकायतों की बाढ़ आ गई है। ईडी को रांची की चर्चित जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़े दर्जनों मामले मिले हैं. इनमें बुंडू में 1457 एकड़ जमीन की खरीदी-बिक्री महज 10 करोड़ में, बरगई में 50 एकड़ से अधिक की जमीन की खरीद-फरोख्त, गैर-मजरूआ जमीन की गलत बिक्री-बिक्री, बीआइटी मेसरा के लिए अधिग्रहित करीब 60 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त शामिल है. कांके अंचल में रिंग रोड के दाहिनी ओर लॉ यूनिवर्सिटी और चामा मैजा के पीछे नामकुम के चाय बागान में 100 एकड़ जमीन की अवैध बिक्री का मामला सामने आया है. साथ ही 100 एकड़ से ज्यादा जमीन को बदला गया।
जमीन के बड़े मामलों की जांच अब ईडी करेगी। इसके लिए दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हुए जमीन की खरीद, बिक्री और नामांतरण की जांच में पिछले दस सालों से रांची में तैनात सब-रजिस्ट्रार, सीओ, सीआई और अन्य कर्मचारियों की भूमिका पर भी फोकस किया जाएगा. नतीजा यह हुआ कि ईडी को करीब एक दर्जन अधिकारियों की शिकायतें मिलीं।
चाय बागान की 100 एकड़ जमीन का बाजार मूल्य 500 करोड़ रुपए
नामकुम अंचल में बारागावा मौजा की 100 एकड़ से अधिक भूमि अभिलेखों में सूचीबद्ध नहीं है। भू-माफियाओं ने भूमि सीमांकन प्रकरण 144/73-74 की फाइल अपर कलेक्टर कार्यालय रांची से गायब कर दी. इस मामले में अपर कलेक्टर भूमि सीमांकन ने अज्ञात लोगों के खिलाफ कोतवाली थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी. जिसमें दावा किया गया था कि नामकुम बरगंवा के प्लॉट नंबर 128, नामकुम सर्कल के प्लॉट नंबर 221, प्लॉट नंबर 221 से संबंधित कागजी कार्रवाई की गई है। खाता संख्या 09 प्लॉट संख्या 125. 10, खाता संख्या प्लॉट संख्या 124. 121, 123 और 125 खाता संख्या 215 कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। 5 से 6 लाख रुपए प्रति दशमलव एक चाय बागान में एक दशमलव भूमि की कीमत है। ऐसे में 100 एकड़ में कम से कम 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
ये बड़े प्लाॅट जांच के घेरे में : ईडी के भी राडार पर
1.बुंडू में वन भूमि और गैर मजरुआ जमीन की भी करा दी रजिस्ट्री –
बुंडू अंचल में पांच वर्ष पहले 1457 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री में भी गड़बड़ी हुई थी। इस मामले की जांच तत्कालीन दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त डाॅ. नितिन मदन कुलकर्णी ने कराई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि रांची के बिल्डर काेसी कंसल्टेंट और शाकंभरी बिल्डर्स ने बुंडू अंचल के 12 गांवाें में आने वाली सभी जमीन की रजिस्ट्री दाे डीड के माध्यम से कराई। जमीन का सरकारी वैल्यू मात्र 10 करोड़ रुपए बताया गया। मामले में तत्कालीन डीसी की भूमिका काे भी संदिग्ध माना गया।
2.बीआईटी मेसरा की जमीन दलालाें ने बेच दी, गलत तरीके से म्यूटेशन भी कर दिया
रांची के मेसरा में स्थित बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी) के लिए वर्ष 1958-59 और 1964-65 में अधिग्रहित 730 एकड़ जमीन में से 60 एकड़ जमीन अवैध तरीके से बेच दी गई। अंचल के पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने म्यूटेशन भी कर दिया। एक ही जमीन पर दाेहरी जमाबंदी खाेल दी गई। इस मामले में बीआईटी के कुल सचिव ने कांके सीओ को पत्र लिखकर अवैध जमाबंदी रद्द करने का आग्रह किया। तब जाकर सीओ ने मामला सुलझाया।
3.पुंदाग में 100 से अधिक के नाम गलत जमाबंदी खाेली
नगड़ी अंचल के पुंदाग माैजा के खाता नंबर 383 की 100 एकड़ से अधिक जमीन गलत तरीके से बेच दी गई। नगड़ी के कई सीओ ने जमीन दलालाें व खरीदाराें से सांठगांठ कर म्यूटेशन भी कर दिया। पिछले वर्ष नगड़ी सीओ व अपर समाहर्ता की जांच रिपोर्ट के आधार पर रांची डीसी काेर्ट ने करीब 50 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन प्रभावशाली लाेगाें के दबाव में कार्रवाई रुक गई। क्योंकि, दर्जनों आईएएस-आईपीएस व अधिकारियों ने जमीन ली है।
4.कांके अंचल में आदिवासी जमीन काे बना दिया गैर आदिवासी, नदी की जमीन भी पाट दी
कांके अंचल में 200 एकड़ से अधिक आदिवासी जमीन के फर्जी कागजात बनाकर गैर आदिवासी दिखाते हुए बेचने का मामला भी सामने आया है। रिंग राेड के किनारे दर्जनों खाता-प्लाॅट की जमीन बेची गई। इसके अलावा लाॅ यूनिवर्सिटी के पीछे एक डेवलपर द्वारा नदी की जमीन काे पाट कर प्लाॅटिंग करने, चामा माैजा में प्रभावशाली लाेगाें द्वारा आदिवासी खाता की जमीन फर्जी कागजात पर खरीदने और गलत तरीके से म्यूटेशन किए जाने की शिकायत की गई है।
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