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अब नहीं सुनाई देंगी मशीनों की आवाज़, दशकों पुराना कोल वाशरी को किया गया बंद.

बेरमो, पंकज सिंह.

बेरमो : सीसीएल की प्रथम कोल वाशरी के रूप में करगली वाशरी की स्थापना वर्ष 1958 में कोकिंग कोल के उत्पादन के लिए हुआ था, लेकिन कोयले के अभाव में एक जून 1999 से ननकोकिंग कोल का उत्पादन यहां होने लगा था। कभी कोल इंडिया का गौरव कहलाने वाला सर्वश्रेष्ठ वाश कोकिंग कोल, स्टील प्लांटों के लिए उत्पादन करने वाला अब स्थाई तौर पर बंद हो जाएगा। इस संबंध में सीसीएल मुख्यालय से बीएंडके क्षेत्रीय प्रबंधक को एक आदेश पत्र आया है।

बताते चले कि सीसीएल के पूर्व सीएमडी गोपाल सिंह ने करगली वाशरी का जीर्णोधार कर पुनः शुरू करने की घोषणा की थी जिससे कामगारों एवं स्थानीय लोगों में काफी खुशी थी, लेकिन इस कोरोना काल में करगली वाशरी में काम करने वालों के साथ स्थानीय लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।पूर्व सीएमडी गोपाल सिंह ने डीवीसी बेरमो मांइस को भी चालू करने की घोषणा की थी और काफी तामझाम कर कार्यक्रम आयोजित किया गया था।डीवीसी से मांइस को सीसीएल द्वारा लिए जाने की बात भी हो गई थी, लेकिन यह मात्र घोषणा ही साबित हुआ।

अब करगली वाशरी के बंद होने से कामगारों और स्थानीय श्रमिक संगठनों में चिंता और आक्रोश देखा जा रहा है। करगली वाशरी के संबंध में प्रबंधन के निर्णय को बेरमो के नवनिर्वाचित विधायक और श्रमिक नेता स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र कुमार जय मंगल सिंह इस संबंध में क्या करेंगे यह देखने वाली बात होगी। बताते चलें कि जब से करगली वाशरी बंद है और जीर्णोधार की बात हो रही है तब से अब तक वाशरी के कई कीमती पार्ट पुर्जे और लोहा चोरी की घटना घटित हो चुकी है। इस संबंध में बेरमो थाना में कई मामला भी दर्ज है। अब जबकि स्थाई तौर पर करगली वाशरी बंद हो जाएगा कोई कामगार वहां रहेंगे नहीं तो चोरों के लिए जन्नत बन जाएगा करगली वाशरी।

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