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पीएम मोदी सासाराम से करेंगे इंट्री; गया-भागलपुर में भी कई पाबंदियां लगी, होटलों-बस स्टैंड-रेलवे स्टेशन पर जांच में सख्ती

Team Drishti

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पीएम मोदी पहली बार चुनावी रैली को संबोधित करने आ रहे हैं.
सासाराम के बाद गया और फिर भागलपुर में बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे नरेंद्र मोदी नक्सली हमले कीआशंका, बिहार में जारी जनरल अलर्ट के बाद सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम

बिहार चुनाव में पहली बार हो रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को लेकर इंटेलिजेंस इनपुट में अलर्ट के बाद सुरक्षाबलों को विशेष तैनाती की गई है। पहले दिन 23 अक्टूबर को तीन रैलियां होनी हैं और इसके लिए सभी जिलों से पुलिस फोर्स को भी लगाया गया है। एक-एक जिले में 30 डीएसपी, 100 इंस्पेक्टर और 150 सब इंस्पेक्टर को लगाया गया है। मुख्यालय ने अपने स्तर से पीएम की रैलियों के लिए 7 आईपीएस और 4 डीएसपी की अलग से तैनाती की है। डॉग और बम स्क्वायड की टीम रैली वाली जगह पर प्रधानमंत्री की सभा से 24 घंटे पहले से ही पहुंचकर एक-एक जगह की जांच करेगी। आईबी अलर्ट के कारण मोदी की रैली को लेकर तीनों जिलों में कई तरह की पाबंदियां भी रहेंगी। शुक्रवार की रैली के लिए गुरुवार को सासाराम, गया और भागलपुर के होटलों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर सख्त जांच चलती रही। कार्यक्रम स्थल पर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। रूट को डायवर्ट कर दिया गया है।

क्यों की गई कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

प्रधानमंत्री की रैली में आईबी ने नक्सली हमले की आशंका जताई है। 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री की तीन रैलियों में से दो (सासाराम और गया) नक्सल प्रभावित इलाके हैं। पूर्व की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए बिहार पुलिस कोई रिस्क नहीं उठाना चाहती है। 2013 में पटना के गांधी मैदान में प्रधानमंत्री की रैली के दौरान सीरियल ब्लास्ट हुआ था। उस वक्त नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। भाजपा की तरफ से हुंकार रैली आयोजित की गई थी। इस हमले में आतंकियों के निशाने पर नरेंद्र मोदी ही थे। उनकी हत्या की प्लानिंग थी।

क्या-क्या हो रहे सुरक्षा के इंतजाम

प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था अलग-अलग लेयरों में होगी। मुख्यालय के अलावा संबंधित जिलों की पुलिस टीम रैली वाले स्थल से लेकर आने-जाने वाले रास्ते पर अलग-अलग लेयर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में जुटी हुई है। शारीरिक रूप से जांच करने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की मदद ली जा रही है। आसपास के इलाकों, होटलों और वहां से गुजरने वालों की जांच की रही है। संदिग्धों पर नजर पड़ते ही उनकी पूरी पड़ताल की जा रही है। जिलों के बॉर्डर एरिया को सील कर दिया गया है। सख्त चेकिंग के बाद ही गाड़ियों को आने दिया जा रहा है। एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) और एसटीएफ की टीम को भी सुरक्षा में लगाया है। इनकी संख्या इतनी होगी कि रैली वाली जगह में अंदर और बाहर, हर जगह पर पैनी नजर रखी जाएगी। इंट्रेस गेट पर मेटल डिटेक्टर लगाया जाएगा। रैली में शामिल होने वाले हर एक व्यक्ति को जांच की प्रक्रिया से गुजरना होगा। उनकी कड़ी चेकिंग की जाएगी। इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। एक कंट्रोल रूम बनाया जाएगा, वहीं मॉनिटर लगा होगा और उसके जरिए पूरी भीड़ पर नजर रखी जाएगी।

गांधी मैदान की सुरक्षा व्यवस्था एसपीजी के हाथों में

गया एसएसपी राजीव मिश्रा के अनुसार गया के गांधी मैदान की सुरक्षा व्यवस्था को एसपीजी ने अपने हाथों में ले लिया है। एयरफोर्स की टीम भी आ चुकी है। ये टीमें अपने हिसाब से काम कर रही हैं। गांधी मैदान के सभी प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया गया है। सभी स्थलों के पास सीआरपीएफ, एसएसबी और आईटीबीपी के जवानों को लगाया गया है।

भागलपुर में भी कड़े इंतजाम किए गए हैं

भागलपुर रेंज के डीआईजी सुजीत कुमार के अनुसार प्रधानमंत्री की रैली को लेकर हर स्तर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। तय प्रोटोकॉल के तहत सारी तैयारियां चल रही हैं। रैली में आने वाले लोगों को मेटल डिटेक्टर की जांच से होकर गुजरना होगा। प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की मीटिंग भी हुई है। लगातार सुरक्षा इंतजामों का रिव्यू किया जा रहा है।

कहां-कब रैलियां करेंगे प्रधानमंत्री

23 अक्टूबर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं। राज्य के अंदर कुल 13 रैलियों में वो शामिल होंगे। पहले दिन सासाराम, गया और भागलपुर में इनकी रैलियां होनी है। 28 अक्टूबर को दरभंगा, मुजफ्फरपुर और पटना में चुनावी सभा होगी। इसके बाद 1 नवंबर को छपरा, पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में, जबकि 3 नवंबर को पश्चिमी चंपारण, सहरसा और अररिया जिला में होने वाली रैलियों में प्रधानमंत्री शामिल होंगे। इन रैलियों को लेकर आईबी का यह जनरल अलर्ट है। इस कारण चुनाव के दरम्यान बिहार में होने वाली प्रधानमंत्री की सभी रैलियों में सुरक्षा-व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। मुख्यालय से मिले निर्देशों और एसपीजी के तरफ से दिए गए गाइडलाइन के अनुसार ही जिलों की पुलिस टीम सुरक्षा-व्यवस्था के कड़े इंतजाम करने में जुटी हुई है।

इस तरह से इनपुट जुटाती है आईबी

ग्राउंड स्तर पर आईबी के सोर्स कई जगहों पर फैले होते हैं। कुछ ऐसे भी सोर्स होते हैं, जो नक्सली संगठन के अंदर काम कर रहे होते हैं। इसमें वैसे लोग भी शामिल होते हैं, जो किसी न किसी तरह से नक्सली संगठन या उसके लोगों से जुड़े होते हैं। हर पल की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हैं। हर छोटी-बड़ी सूचनाओं को जमा करते हैं। उसे कंफर्म कराने के बाद आईबी के पास अंदर की सूचनाएं पहुंचती हैं। इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाती है। इसी आधार पर बिहार पुलिस को आईबी ने अलर्ट जारी किया, जिसके बाद कई स्तर पर सुरक्षा इंतजामों की तैयारियां की गई।

ज्यादातर लीक हो जाती है

बात प्रधानमंत्री की सुरक्षा की है। अगर स्पेसिफिक इनपुट होती तो शायद लीक नहीं होती। आईबी और पुलिस टीम मिलकर चुपचाप अपना काम कर लेती। यही बात पुलिस की सेवा से वीआरएस ले चुके आईपीएस अमिताभ दास भी मानते हैं। इनके अनुसार जनरल अलर्ट को जानबूझकर लीक कर दिया जाता है। ऐसा पब्लिक की संवेदनाओं को बटोरने के लिए किया जाता है। इंफॉर्मेशन कहीं से भी लीक हो सकता है या कराया जा सकता है। सरकार के इशारे पर आईबी के लोग भी कई बार ऐसे चुपके से कर देते हैं। मुख्यालय में बैठे पुलिस अधिकारी भी यह काम करते रहते हैं।

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