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वाह राहुल तेवतिया…

वरीय संवाददाता सौरभ सिन्हा की कलम से

कहिए, क्या आपने भी ऐसा कुछ सोचा था, जो कल रात आपने कर दिखाया…?

कहते कैसे नहीं? राजस्थान की पारी के 18वें ओवर में राहुल तेवतिया की बल्लेबाज़ी का अंदाज़ ही कुछ ऐसा था कि कभी मुंह से आह निकलती थी…और उसके बाद वाह-वाह…
हर किसी के साथ “तेवतिया” हो सकता है। जिसे आप “नकारा” समझने लगते हैं,कभी आपके लिए वही सबसे बड़ा संकट मोचक बन सकता है। कभी किसी “तेवतिया” को नजरअंदाज न करें। न उसे खरिज करने की हड़बड़ी। कॉमेंटेटर से लेकर ट्विटर तक ने तेवतिया को “खलनायक” घोषित कर दिया था और बाद में वही तेवतिया आज “नायक” बन गए…

राजस्थान रॉयल कल रात एक बड़े लक्ष्य का पीछा कर रही थी। प्रमोट करके चौथे नम्बर पर भेजे गए राहुल तेवतिया पिच पर कहीं से भी सेट नही नज़र आ रहे थे। 20 गेंदों में 12 रन बनाने कर वह संघर्ष कर रहे थे। दूसरे छोर पर संजू सैमसन पर दबाव बढ़ रहा था। तेवतिया को गालियां पड़ने लगी थी। कमेंट्रेटर ने यह तक कह डाला कि राहुल तेवतिया को रिटायरहर्ड क्यों नही किया जा रहा है। संजू सैमसन सिर्फ इसलिए एक रन नही ले रहे थे कि स्ट्राइक कहीं तेवतिया को न मिल जाये।
17 वें ओवर की आखिरी गेंद पर संजू सैमसन आउट हो गए। और यह तय हो गया कि किंग्स इलेवन जीत जाएगी। 3 ओवर जीत के लिए 50 से ज्यादा रन बनाने थे। फिर तेवतिया ने कार्टेल के एक ओवर में 5 छक्के मारकर मैच को राजस्थान रॉयल के खाते में डाल दिया।

एक ओवर में पांच छक्के… जी हाँ आपने बिल्कुल सही पढा़ एक ओवर में पांच छक्के ही कहां मैंने। तेवतिया ने किंग्स इलेवन के ओपनर मयंक अग्रवाल के तूफ़ानी शतक…निकोलस पूरन की शानदार फील्डिंग… और पंजाब के गेंदबाज़ शेल्डन कॉटरेल के रुतबे पर पानी फेर दिया। क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल क्यों है, वो कल रात आप सभी ने जान लिया होगा..! इस ओवर के पहले तेवतिया एक-एक रन को जूझ रहे थे। उन्होंने रवि विश्नोई पर एक छक्का ज़रूर जड़ा था लेकिन उसके बाद कई गेंद ख़राब कर चुके थे और 23 गेंद में सिर्फ 17 रन बना पाए थे। तब तक कप्तान स्टीव स्मिथ और संजू सैमसन विदा हो चुके थे। राजस्थान के हाथ से मैच फिसला जा रहा था। आखिरी तीन ओवर में 51 रन बनाने थे। 18वें ओवर में पंजाब के कप्तान केएल राहुल ने गेंद कॉटरेल को थमाई। फिर तेवतिया ने वो किया, जिसे वो तो ताउम्र याद रखेंगे ही कॉटरेल, पंजाब की टीम और ये मैच देखने वाले भी अर्से तक नहीं भूलेंगे।
पहली गेंद पर छक्का। दूसरी गेंद शॉर्ट थी, इस पर भी छक्का। अगली गेंद को कॉटरेल ने आगे पिच कराया लेकिन तेवतिया का बल्ला घूमा तो ये भी उड़ते हुए बाउंड्री के बाहर गिरी। अब पंजाब की टीम में खलबली शुरू हो गई थी। चौथी गेंद लो फुलटॉस थी, इस पर भी तेवतिया ने छक्का जड़ा। फ़्लैट सिक्स। राजस्थान के डग आउट में खिलाड़ी चहकने लगे और पंजाब के खिलाड़ी पतलूनें कसकर पकड़ने लगे..
ओवर की पांचवीं गेंद ही ऐसी थी जो कि शायद तेवतिया को भी समझ नहीं आई।लेकिन छठी गेंद बल्ले से लगते ही उड़ी और मिडविकेट बाउंड्री के बाहर जा गिरी। पांच गेंदों में ही मैच की स्क्रिप्ट बदल गई थी और तेवतिया हीरो बन चुके थे।

इसलिए कहते हैं कि ज़िंदगी हम सबको तेवतिया बनाती है। बड़े-बड़े नामों के बीच हम ठेले जाते हैं। हमारा मज़ाक़ बनता है। आप कल्पना कीजिए हेलमेट के अंदर तेवतिया के दिमाग़ में तब क्या चल रहा होगा, जब उनसे लाख कोशिश के बावजूद गेंद ढंग से कनेक्ट नहीं हो रही थी। आप उस महीन अपमान की कल्पना तो कर ही सकते हैं, जब सामने का बल्लेबाज़ तेवतिया को सिंगल लेने से मना कर देता है। 22 गज़ की पट्टी से लौटकर अपने टीम मेट्स के बीच ‘मैचहाराऊ’ का तमग़ा पाना किसे अच्छा लगेगा, आप ही बताओ फिर क्यो चले तेवतिया का बल्ला और बरसाएँ एक नहीं दो नहीं पाँच पाँच छक्का…!

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