खलारी में सड़क टूटने का मामला: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी मुख्यमंत्री ग्राम सड़क सुंदरीकरण योजना?
खलारी, रांची: झारखंड में भ्रष्टाचार की खबरे कोई नई नही है । लेकिन जब करप्शन सीधे आम जनता की रोजमर्रा होने वाली क्रियाकलापों से जुड़ी हो तो इस पर तत्काल एक्शन होना चाहिए । ऐसा ही एक मामला रांची के खलारी में सामने आया है जहां ठेकेदार और इंजीनियर की मिलीभगत से रोड को ऐसा बना की चार महीने में ही सड़क जर्जर हो गया !
ग्रामीण सड़क की हालत दिखाते हुए
दरअसल मुख्यमंत्री ग्राम सड़क सुंदरीकरण योजना के तहत खलारी प्रखंड के जेहलीटांड़ कुम्हारटोला में निर्मित पीसीसी सड़क, जो खलारी पेट्रोल गोदाम से हेसालौंग, नावाडीह, डीएसपी ऑफिस, कस्तूरबा स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय और देवीमंडप को जोड़ती है, मात्र चार महीने में ही टूटने लगी है। 6.99 करोड़ रुपये की लागत से आरडब्ल्यूडी वर्क डिवीजन रांची द्वारा बनाई गई इस सड़क के टूटने से भ्रष्टाचार और लापरवाही के गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
टूटी सड़क, टूटा भरोसा
डीएसपी आवास खलारी और जेहलीटांड़ कुम्हारटोला के बीच करीब 500 वर्ग फीट क्षेत्र में सड़क टूट गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुरानी पीसीसी सड़क के ऊपर नई परत डालने के दौरान उचित तकनीकी मानकों का पालन नहीं किया गया। सतह के नीचे हवा भरने से सड़क में उभार आए, जो अब टूट रहे हैं। सड़क के दोनों ओर फ्लैंक न भरने से इसकी मजबूती और कमजोर हुई। यह सड़क करकट्टा और धमधमिया को खलारी से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है, और भारी यातायात के दबाव ने स्थिति को और बदतर कर दिया है।
भ्रष्टाचार की आशंका
ग्रामीणों का कहना है कि 6.99 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि के बावजूद सड़क की गुणवत्ता इतनी खराब क्यों है? स्थानीय निवासी जावेद ने गुस्से में कहा, “इतने बड़े बजट में सड़क चार महीने भी नहीं टिकी। यह साफ तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।” लोगों का आरोप है कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग और ठेकेदारों की मिलीभगत से सड़क की गुणवत्ता प्रभावित हुई। इसके अलावा, निर्माण के दौरान निगरानी की कमी और तकनीकी खामियों को नजरअंदाज करने से सड़क की यह हालत हुई।
भ्रष्टाचार का पैटर्न
झारखंड में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई परियोजनाओं में अनियमितताओं की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माण कार्यों में ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत, गुणवत्ता जांच में लापरवाही, और फंड के दुरुपयोग से ऐसी समस्याएं बार-बार सामने आती हैं। ठेकेदारों को रखरखाव की जिम्मेदारी पूरी तरह नहीं सौंपी जाती।
ग्रामीणों की मांग: जांच और मरम्मत
स्थानीय लोग तत्काल सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो टूटी सड़क से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ेगा और ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
गांव वालों की मांग है :
पारदर्शिता और जवाबदेही: सड़क निर्माण में खर्च और सामग्री की गुणवत्ता की जानकारी सार्वजनिक की जाए। स्वतंत्र जांच: भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त की जाए। कठोर निगरानी: निर्माण के दौरान और बाद में सड़क की गुणवत्ता की नियमित जांच हो। ठेकेदारों की जवाबदेही: ठेकेदारों को पांच साल तक सड़क रखरखाव की जिम्मेदारी सख्ती से लागू की जाए।