मोदी सरकार के सात साल तानाशाही और तबाही के प्रतीक : माले.
राँची : किसान आंदोलन के छः महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान और मजदूर संगठनों के पूर्व घोषित देशव्यापी काला दिवस कार्यक्रम के तहत आज भाकपा माले और ऐक्टू ने राज्यभर में काला दिवस मनाया। भाकपा माले और ऐक्टू से जुडे कार्यकर्ताओं ने माथे पर काली पट्टी और बाहों में काले फीते बांधकर काला कृषि कानून और चार लेबर कोड़ के खिलाफ विरोध जताया।
रांची के जिला स्कूल के मैदान में कोरोना गाइडलाइन के दिशानिर्देश के तहत दो गज दूरी और मास्क है जरूरी के नियमों का पालन करते हुए प्रतिरोध कार्यक्रम किया। तानाशाही और तबाही के खिलाफ प्रतिरोध की ताकत किसान आंदोलन जिन्दाबाद, काला कृषि कानून वापस लो। श्रम कोड नहीं सभी श्रम कानूनों को वापस करो, मजदूर किसानो की है आवाज नही चलेगा कम्पनी राज के जोरदार नारों के साथ जिला स्कूल के मैदान प्रतिरोध कार्यक्रम कर किसानो के साथ एकजूटता जाहिर किया गया।
काला दिवस प्रतिरोध कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा मोदी सरकार के सात वर्ष पूरे होने पर आज देश में कहीं भी जश्न और खुशी मनाने का कोई माहौल नहीं है। चारो ओर केंद्र सरकार की नाकामी सरकारी अव्यवस्था और विवेकपूर्ण उपायों की वजह से अब तक लाखों लोगों की मौत हुई है। तानाशाही और तबाही के सात साल के बजाय प्रतिरोध और उम्मीद के हमारे छः महीने ही काफी है हम झारखंड के किसान किसान मजदूर देश के आंदोलनरत किसानो के साथ हैं।
माले जिला सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा की कोविड महामारी से प्रभावित दुनियां के कई देशों ने कोविड पर काबू पा लिया। विश्व गुरु की ढोल पिटने के बावजूद हम गाय, गोबर, गोमूत्र और जाप तक ही सिमटे रहे। किसानो के साथ समझौता नहीं कर लोकतंत्र के साथ खुल्ला मजाक कर रही है। तानाशाही और तबाही के लिए ज़िम्मेदार मोदी सरकार को नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।
काला दिवस कार्यक्रम में माले के केंद्रीय कमेटी के सदस्य व मजदूर नेता शुभेंदु सेन राज्य कमेटी के सदस्य मोहन दता, नंदिता भट्टाचार्य इनामुल हक छात्र नेता नौरीन अख्तर रूपलाल पंडित शांति सेन आईटी तिर्की सोबराती अंसारी, पंडित राजेश अरोरा अमानत अंसारी आदी मुख्य रूप से उपस्थित थे।