सिमडेगा : बाल सुधार गृह में किशोर की मौत , सुधार गृह की सुरक्षा सवालों में
सिमडेगा जिले के बाल सुधार गृह में पॉक्सो मामले में 17 वर्षीय किशोर निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत हो गयी है । परिजनों द्वारा हत्या का आरोप का आरोप लगाया है। इस घटना ने बाल सुधार गृह की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए है । साथ ही किशोरों की सुरक्षा, सुधार गृहों के प्रबंधन, और प्रशासनिक जवाबदेही जैसे मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है।
घटना का विवरण
निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) कांड संख्या 167/24 के तहत पॉक्सो अधिनियम के एक मामले में आरोपी था। वह बाल सुधार गृह में था। सोमवार (14 अप्रैल ) देर रात उसकी तबीयत अचानक बिगड़ने की सूचना मिली, जिसके बाद उसे तुरंत सिमडेगा सदर अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी।
परिजनों का आरोप
निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) की मौत की खबर मिलते ही उसके परिजन सदर अस्पताल पहुंचे और वहां हंगामा शुरू कर दिया। मृतक की मां ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि उनके बेटे की हत्या बाल सुधार गृह में अज्ञात लोगों द्वारा की गई है। उन्होंने कहा:
अचानक मौत पर संदेह: शोषण बेक ने बताया कि रविवार सुबह 8:30 बजे उनकी बेटे से फोन पर बात हुई थी। उस समय उसने खुद को पूरी तरह स्वस्थ बताया था और किसी भी तरह की चोट या स्वास्थ्य समस्या का जिक्र नहीं किया था। इतने कम समय में उसकी हालत इतनी गंभीर कैसे हो गई,
चोट की जानकारी में विसंगति: प्रशासन ने परिजनों को बताया कि वॉलीबॉल खेलते समय चोट लगी थी, जिसके कारण उसकी तबीयत बिगड़ी। लेकिन परिजनों का कहना है कि उन्हें इस चोट की कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। रविवार को बातचीत में भी मृतक ने ऐसी किसी घटना का जिक्र नहीं किया। परिजनों ने सवाल उठाया कि अगर चोट शुक्रवार को लगी थी, तो रविवार तक वह स्वस्थ कैसे था?
मारपीट के निशान: निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) की बड़ी मां ने दावा किया कि शव पर खून के ताजे निशान और गहरे घाव दिखाई दिए, जो मारपीट की ओर इशारा करते हैं। उनका कहना था कि ये निशान रविवार रात को हुई किसी हिंसक घटना का परिणाम हो सकते हैं।
रिहाई की चर्चा: शोषण बेक ने बताया कि रविवार को बातचीत के दौरान निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) ने अपनी रिहाई की संभावनाओं पर चर्चा की थी।
परिजनों ने बाल सुधार गृह में लापरवाही, परिवार ने बाल सुधार गृह में अमानवीय व्यवहार, और सुरक्षा में कमी का आरोप लगाते हुए डीसी सिमडेगा से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका मानना है कि यह महज एक हादसा नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या हो सकती है।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने त्वरित कदम उठाए हैं:
पोस्टमार्टम और मेडिकल बोर्ड: सिमडेगा के एसडीओ रवि किशन राम की निगरानी में सिविल सर्जन द्वारा एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। इस बोर्ड ने वीडियोग्राफी के साथ निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) का पोस्टमार्टम कराया, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
पुलिस जांच: सिमडेगा पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और सभी संभावित पहलुओं पर गौर कर रही है।
बाल सुधार गृह की स्थिति
सूत्रों के अनुसार, सिमडेगा के बाल सुधार गृह में कई कमियां हैं, जो इस घटना के बाद और स्पष्ट हुई हैं:
निगरानी की कमी: सुधार गृह में शाम 5:00 बजे के बाद कोई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद नहीं रहता। पूरी व्यवस्था सुरक्षा गार्डों के भरोसे चलती है,
किशोरों की संख्या: सुधार गृह में दर्जनभर से अधिक किशोर विभिन्न मामलों में निरुद्ध हैं। इतनी संख्या में किशोरों की सुरक्षा और उनके बीच होने वाले टकराव को रोकने के लिए मजबूत व्यवस्था की जरूरत है, जो स्पष्ट रूप से नदारद है।
जाहिर है सवाल कई है अगर निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) को शुक्रवार को चोट लगी थी, तो रविवार तक उसकी स्थिति सामान्य क्यों थी? अचानक सोमवार रात उसकी तबीयत कैसे बिगड़ गई? क्या चोट की गंभीरता को समय पर नहीं पहचाना गया, या यह कोई नई घटना थी?
प्रशासन की जवाबदेही: परिजनों को चोट की सूचना क्यों नहीं दी गई? अगर निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) की हालत गंभीर थी, तो उसे पहले अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया?
पारदर्शिता: प्रशासन ने परिजनों के साथ समय पर संवाद क्यों नहीं किया? क्या यह लापरवाही थी, या कुछ छिपाने की कोशिश?
निहाल बेक ( बदला हुआ नाम) की मौत ने सिमडेगा के बाल सुधार गृह की लचर व्यवस्था को उजागर कर दिया है। परिजनों के आरोप गंभीर हैं, और अगर ये सही साबित होते हैं, तो यह एक किशोर के साथ अन्याय और मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट इस मामले में निर्णायक होगी, जो यह स्पष्ट करेगी कि मौत का कारण चोट, बीमारी, या हिंसा थी।
सिमडेगा : नरेश