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बिहार में फिर वही पुरानी जोड़ी: दो डिप्टी सीएम के साथ नीतीश की नई पारी, लेकिन संविधान में डिप्टी सीएम पद का नामो-निशान तक नहीं!

पटना : बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं और उनके साथ दो डिप्टी सीएम भी शपथ लेते दिखाई दे सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने इस बार कोई बदलाव नहीं किया है और मौजूदा डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी व विजय कुमार सिन्हा ही पद पर बने रहेंगे। दिलचस्प बात यह है कि पिछले तीन बार से बीजेपी हर बार डिप्टी सीएम के चेहरे बदलती रही थी, लेकिन इस बार पुरानी व्यवस्था को ही बरकरार रखा गया है।

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2020 से पहले थी सुशील मोदी की मजबूत जोड़ी

2020 से पहले एनडीए सरकार में नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के दिवंगत नेता सुशील कुमार मोदी डिप्टी सीएम रहते थे। उस दौर में सिर्फ एक डिप्टी सीएम होता था। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, तो उसने दो डिप्टी सीएम बनाने का फॉर्मूला अपनाया – तर्क था गठबंधन में सत्ता का बेहतर संतुलन।

संविधान में डिप्टी सीएम पद है ही नहीं!

जी हां, आपने सही पढ़ा। भारतीय संविधान में “उपमुख्यमंत्री” या “डिप्टी चीफ मिनिस्टर” नाम का कोई पद ही नहीं है। आर्टिकल 163: राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद होगी। आर्टिकल 164: मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है, बाकी मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर होती है। इन दोनों आर्टिकल्स में कहीं भी डिप्टी सीएम का जिक्र नहीं है। फिर ये पद आता कहां से है?

असल वजह: गठबंधन की मजबूरी और सत्ता का बैलेंस

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि डिप्टी सीएम का पद पूरी तरह से गठबंधन धर्म की देन है। जब एक दल की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बन पाती, तब सहयोगी दलों को संतुष्ट करने और सत्ता में हिस्सेदारी देने के लिए डिप्टी सीएम बनाए जाते हैं।

इनको फायदा ये होता है:

सदन में इन्हें उपनेता (Deputy Leader of the House) बना दिया जाता है। मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में सदन की कार्यवाही ये संभालते हैं। कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालय भी इन्हें सौंप दिए जाते हैं।

देश में बढ़ता डिप्टी सीएम का क्रेज

पिछले कुछ सालों में डिप्टी सीएम बनाने का चलन तेजी से बढ़ा है। देश के पहले डिप्टी सीएम बिहार के ही कांग्रेस नेता अनुग्रह नारायण सिंह थे (1946 में)। सबसे ज्यादा 5 डिप्टी सीएम एक साथ आंध्र प्रदेश में रहे, जब जगन मोहन रेड्डी ने जातीय-क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए 5 उपमुख्यमंत्री बना रखे थे। बिहार में अब तक कुल 12 लोग डिप्टी सीएम रह चुके हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 8 बार डॉ. जगन्नाथ मिश्र और 7 बार सुशील कुमार मोदी रहे।

डिप्टी सीएम का पद संविधान की किताब में नहीं, बल्कि गठबंधन राजनीति की प्रयोगशाला में जन्मा है। जब तक भारत में गठबंधन सरकारें चलती रहेंगी, ये “असंवैधानिक लेकिन जरूरी” पद भी चलता रहेगा। बिहार में नीतीश कुमार की दसवीं पारी शुरू होने वाली है और इस बार भी दो डिप्टी सीएम के साथ वही पुराना फॉर्मूला।

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