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कोरोना के कारण लंबे समय से बंद पड़े ट्रेनिंग सेंटरों को सरकार ने खोलने की अनुमति दे दी पर फिर भी पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग शुरू नहीं हो पायी

कोरोना के कारण लंबे समय से बंद पड़े ट्रेनिंग सेंटरों को सरकार ने खोलने की अनुमति दे दी है. अनुमति मिलने के बावजूद पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग शुरू नहीं हो पायी है. 31 जुलाई को राज्य सरकार ने सभी स्‍कूल, कॉलेज और ट्रेनिंग सेंटर को खोलने का आदेश दे दिया है. इसके बावजूद पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग शुरू करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने अबतक कोई आदेश जारी नहीं किया है.

नियुक्ति के साढ़े तीन वर्ष बाद भी 389 दरोगा का प्रशिक्षण नहीं हुआ है पूरा

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नियुक्ति के साढ़े तीन वर्ष बाद भी 389 दरोगा प्रशिक्षण पूरा होने का इंतजार कर रहे है. गौरतलब है कि सीमित परीक्षा पास कर 11 मार्च 2018 को 389 पुलिसकर्मी दरोगा बने थे. जिन्हें आठ महीने का प्रशिक्षण प्राप्त करना था. लेकिन अबतक सिर्फ चार महीने का प्रशिक्षण पूरा हुआ है. सीमित परीक्षा से दरोगा बने 389 पुलिसकर्मियों का चार महीने का प्रशिक्षण अधूरा रह गया है.
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गौरतलब है कि बीते एक अप्रैल 2020 से चार महीने का प्रशिक्षण शुरू होना था. लेकिन इससे पहले लॉकडाउन हो गया. जिस वजह से प्रशिक्षण शुरू नहीं हो पाया था. इसके बाद 17 दिसंबर 2020 को गृह विभाग के द्वारा कोविड-19 नियमों का अनुपालन करते हुए प्रशिक्षण शुरू कराने के लिए सभी ट्रेनिंग सेंटर को आदेश दिया गया था. इसके बावजूद भी पुलिस मुख्यालय के द्वारा ट्रेनिंग शुरू नहीं कराया गया. जिसके बाद इस वर्ष बीते 5 अप्रैल से प्रशिक्षण शुरू करने का पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी किया. कुछ दिन तक प्रशिक्षण भी चला. लेकिन इसी दौरान कोरोना की दूसरी लहर आने के वजह से प्रशिक्षण फिर से बंद हो गया. 31 जुलाई को सरकार के द्वारा ट्रेनिंग सेंटर खोलने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन ट्रेनिंग शुरू नहीं होने से पुलिसकर्मियों के बीच निराशा है.

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प्रशिक्षण पूरा नहीं होने से MACP का लाभ और प्रोन्नति से वंचित हो रहे हैं 10 हजार जवान
झारखंड पुलिस के जवान प्रशिक्षण पूरा नहीं होने से एमएसीपी का लाभ और प्रोन्नति से वंचित हो रहे हैं. राज्य के विभिन्न जिला, वाहिनी, इकाई के करीब 10 हजार पुलिसकर्मी राज्य के अलग-अलग प्रशिक्षण संस्थानों में पीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे. इसी दौरान पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण मार्च 2020 में प्रशिक्षण बंद कर दिया गया और सभी प्रशिक्षुओं को अपने पैतृक वाहिनी में वापस भेज दिया गया था. दो साल से जवान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन अब तक प्रशिक्षण पूरा नहीं हुआ है. जिसके कारण जवानों में असंतोष की भावना है. साथ ही समय पर प्रशिक्षण पूरा नहीं होने के कारण जवान एमएसीपी का लाभ और प्रोन्नति से वंचित हो रहे हैं. जिसके कारण उनके मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

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