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वक्फ संशोधन बिल लोकसभा से पास , जानिए क्या नया है इस वक्फ बिल में

वक्फ संशोधन बिल पर 12 घंटे तक चले मैराथन बहस , एक दूसरे पर लगाए आरोप प्रत्यारोप, बिल की कॉपी फाड़ने के बीच आखिर रात 2 बजे वक्फ विधेयक लोक सभा से पास हो गया। विधेयक के पक्ष में 288 वोट जबकि विपक्ष में 232 वोट पड़े।विधेयक पर विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई,के सी वेणुगोपाल, असुद्दीन ओबैसी,और अरविंद सावंत ने संसोधन पेश किया जिसे सदन ने खारिज कर दिया।

वहीं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू के संसोधन को स्वीकार कर लिया गया। इससे पूर्व रिजिजु ने लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते हुए इसे “उम्मीद” यानी यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट नाम दिया।अब इस विधेयक को गुरुवार को  राज्य सभा मे पेश किया जायेगा।
विधेयक पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष से जुड़े सहयोगी दल एक जुट दीखे।वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक के एक एक बिंदु पर विस्तार से चर्चा कर विपक्ष के भ्रम को दूर करने की कोशीश की।

गृह मंत्री ने विपक्ष के आरोपों की धज्जियां उड़ाते हुए स्पष्ट किया कि वक्फ में अब चोरी नहीं चलने वाली है।यही नहीं उन्होंने संसोधित वक्फ कानून को नहीं मानने की बात करने वालों को कड़ी चेतावनी भी दी।

आज यानी गुरुवार को इसे राजसभा में पेश किया जाएगा। वैसे जानते है की इस वक्फ संशोधन बिल में क्या क्या है

नाम में बदलाव:
वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995” (United Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act – UWMEED) करने का प्रस्ताव है।
गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों की नियुक्ति:
केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों और दो महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य किया गया है। यह समावेशिता और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए है।
संपत्ति विवादों में कलेक्टर की भूमिका:
वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण और विवादित संपत्तियों के स्वामित्व का निर्धारण अब कलेक्टर या राज्य सरकार द्वारा नामित वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। पहले यह अधिकार सर्वेक्षण आयुक्त के पास था।
सरकारी संपत्तियों को वक्फ के रूप में चिह्नित करने की स्थिति में कलेक्टर जांच करेगा और ऐसी संपत्तियां वक्फ नहीं मानी जाएंगी।
डिजिटाइजेशन और पारदर्शिता:
सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। यदि उचित कारण हो तो यह समयसीमा बढ़ाई जा सकती है।
वित्तीय पारदर्शिता के लिए बेहतर ऑडिट प्रणाली लागू की जाएगी।
वक्फ निर्माण की शर्त:
वक्फ बनाने का अधिकार केवल उन व्यक्तियों को होगा जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हों। यह प्रावधान नए वक्फ के दुरुपयोग को रोकने के लिए है।
ट्रस्ट और वक्फ का पृथक्करण:
किसी भी कानून के तहत बनाए गए मुस्लिम ट्रस्टों को अब वक्फ नहीं माना जाएगा, जिससे ट्रस्टों पर पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित होगा।
न्यायिक निगरानी:
वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को अब उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकेगी, जो पहले संभव नहीं था। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
अवैध कब्जों पर रोक:
अवैध रूप से कब्जा की गई वक्फ संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी प्रणाली में सुधार किया गया है।
सदस्यों की नियुक्ति:
राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड के सभी सदस्यों को नामित करने का अधिकार होगा, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार होगा।
वक्फ-बाय-यूजर संपत्तियों का प्रावधान:
जो संपत्तियां बिल के लागू होने से पहले “वक्फ-बाय-यूजर” के तहत पंजीकृत हैं, वे वक्फ बनी रहेंगी, बशर्ते वे विवादित या सरकारी संपत्ति न हों।
ये संशोधन संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों और विभिन्न पक्षों से प्राप्त सुझावों के आधार पर तैयार किए गए हैं। सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, भ्रष्टाचार को रोकने और मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं और पिछड़े वर्गों को सशक्त करने के लिए लाया गया है।

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