लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक बिल 2025 पेश, स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे बहस का समय दिया
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा में पेश हो गया है । केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजीजू ने इसे लोकसभा में पेश किया है । प्रश्न कल के बाद इसे दोपहर लोकसभा में चर्चा के लिए पेश किया गया । इस बिल पर चर्चा के लिए स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे का वक्त तय किया है । भारतीय जनता पार्टी सहित पूरे एनडीए को इस बिल पर चर्चा के लिए चार घंटा 40 मिनट बोलने का वक्त मिला है बाकी का समय विपक्ष के लोगों को दिया गया है ।
लिए वक्फ बिल 2025 को समझते हैं विस्तार से
1. वक्फ संशोधन विधेयक 2025
तारीख 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने यह विधेयक पेश किया। यह प्रश्नकाल के बाद दोपहर में हुआ,
चर्चा का समय: स्पीकर ओम बिरला ने बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तय किया, जिसमें सत्तारूढ़ NDA को 4 घंटे 40 मिनट और विपक्ष को बाकी समय दिया गया। विपक्ष ने इसे बढ़ाकर 12 घंटे करने की मांग की, जिस पर रिजिजू ने सकारात्मक संकेत दिया।
2. राजनीतिक समीकरण
समर्थन:
NDA: सत्तारूढ़ गठबंधन इस बिल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके प्रमुख सहयोगी, चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU), ने स्पष्ट समर्थन जताया है। दोनों पार्टियों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा,
यह समर्थन NDA की एकजुटता और सरकार की संख्याबल की मजबूती को दिखाता है।
विरोध:
I.N.D.I.A ब्लॉक: विपक्षी गठबंधन ने बिल का विरोध करने की रणनीति बनाई है।
न्यूट्रल पार्टियां: तमिलनाडु की AIADMK, ओडिशा की BJD, और तेलंगाना की BRS जैसी पार्टियां, जो आमतौर पर तटस्थ रहती हैं, इस बार विपक्ष के साथ खड़ी हैं।
संभावित परिणाम: लोकसभा में NDA का बहुमत होने से बिल के पास होने की संभावना अधिक है, लेकिन राज्यसभा में स्थिति जटिल हो सकती है, जहां विपक्ष और न्यूट्रल पार्टियों का प्रभाव बढ़ सकता है।
3. वक्फ कानून का ऐतिहासिक संद-र्भ
1954 का वक्फ एक्ट: यह कानून वक्फ संपत्तियों (मुस्लिम समुदाय द्वारा धर्मार्थ कार्यों के लिए दान की गई संपत्ति) के प्रबंधन के लिए बनाया गया था। इसके तहत सेंट्रल वक्फ काउंसिल की स्थापना हुई,
1955 में संशोधन: राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड बनाए गए, जो संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, रखरखाव और विवाद का निपटारा करते हैं। वर्तमान में देश में 32 वक्फ बोर्ड हैं, जिनमें बिहार जैसे राज्यों में शिया और सुन्नी समुदायों के लिए अलग-अलग बोर्ड हैं।
1964: सेंट्रल वक्फ काउंसिल का औपचारिक गठन हुआ, जो केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय का काम करती है।
मौजूदा स्थिति: वक्फ बोर्ड देश भर में लाखों संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं, जिनमें मस्जिदें, कब्रिस्तान, और मुसलमान की अन्य धार्मिक संस्थान शामिल हैं। लेकिन इनके प्रबंधन में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार, और अतिक्रमण जैसे मुद्दे लंबे समय से उठते रहे हैं।
4. वक्फ संशोधन विधेयक 2025
संभावित
पारदर्शिता और जवाबदेही: वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटल रजिस्ट्रेशन या ऑडिट की व्यवस्था हो सकती है।
संपत्ति विवाद: वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण या गलत दावों को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जा सकते हैं।
केंद्र का नियंत्रण: सेंट्रल वक्फ काउंसिल को अधिक अधिकार देकर राज्य बोर्डों पर केंद्रीय निगरानी बढ़ाई जा सकती है।
महिला और अल्पसंख्यक हित: भोपाल में मुस्लिम महिलाओं के समर्थन से संकेत मिलता है कि बिल में महिलाओं के अधिकारों या संपत्ति प्रबंधन में उनकी भागीदारी से जुड़े प्रावधान हो सकते हैं।
5. सामाजिक और राजनीतिक Things
समर्थन: भोपाल में मुस्लिम महिलाओं का बिल के पक्ष में प्रदर्शन और पीएम मोदी को धन्यवाद देना दर्शाता है कि कुछ समुदाय इसे अपने हित में देख रहे हैं। यह सरकार के लिए सकारात्मक संदेश हो सकता है।
विरोध और तनाव: यूपी में पुलिस की छुट्टियां रद्द होना संकेत देता है कि सरकार को कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। विपक्ष इसे लगातार धार्मिक आधार पर समुदायों को बांटने वाला कदम बता रहा है।
राजनीतिक ध्रुवीकरण: यह बिल NDA और विपक्ष के बीच वैचारिक लड़ाई है। जिससे दोनों दलों को वोट का फायदा नजर आता है
TDP और JDU का समर्थन NDA की एकता को मजबूत करता है, जबकि विपक्ष का एकजुट होना I.N.D.I.A ब्लॉक की रणनीति को बल देता है।
6. आगे की राह
संसदीय प्रक्रिया: लोकसभा में पास होने के बाद बिल राज्यसभा में जाएगा। वहां इसकी सफलता सहयोगियों और तटस्थ पार्टियों पर निर्भर करेगी।
कानूनी चुनौतियां: यदि बिल पास होता है, तो विपक्ष या प्रभावित पक्ष इसे अदालत में चुनौती दे सकते हैं, खासकर यदि इसे संविधान के धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत के खिलाफ माना जाए।