महिलाओं की मेहनत लाई रंग बंजर भूमि पर लहराई फसल.
Team Drishti.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!राँची : कोरोना महामारी, लॉकडाउन के बाद पूरा देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. लोगों की आय घटकर आधी रह गई है. लोग नए-नए आय के स्रोत ढूंढ रहे हैं. इन परिस्थितियों से उबरने के लिए महिलाओं ने भी बीड़ा उठाना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर पिस्का नगड़ी भौरा टोली और आसपास के कई गांव के किसान अब सामूहिक रूप से व्यवसायिक खेती कर रहे हैं.

करीब 7 एकड़ बंजर जमीन में करीब 60 – 70 किसानों का एफपीओ ग्रुप बनाकर खेती कर रहे हैं. ग्रुप का नेतृत्व नीतू केसरी कहती हैं उन्होंने सभी किसानों को संगठित कर एक साथ खेती करने के लिए प्रेरित किया. खेती योग्य जमीन नहीं होने के कारण बंजर जमीन में इन किसानों अपनी मेहनत के बल पर उपजाऊ बना दिया है, आज उस पथरीली जमीन पर टमाटर के फल और सहजन ( ड्रम स्टिक) के पौधे में आये फूल के रूप में मेहनत का फल दिखाई देने लगा है, जिसके बाद किसानों में खुशी की लहर है.

उन्होंने कहा इतना सब करनें के बाद एक मायूसी भी है कि अब तक राज्य सरकार से इन्हें किसी भी प्रकार की मदद और सब्सिडी नहीं मिली है, लेकिन इसके बावजूद भी इनके हौसले बुलंद हैं. इनकी मेहनत और लगन देखकर कहा जा सकता है “कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो” कवि दुष्यंत कुमार शायद इन्हीं मेहनत से किस्मत बदलने वाले के लिए यह लाइन लिखी है.





