विश्व पर्यावरण दिवस विशेष 2025: झारखंड में बढ़ता प्लास्टिक कचरा
विश्व पर्यावरण दिवस विशेष 2025: झारखंड में बढ़ता प्लास्टिक कचरा
रांची, 5 जून : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर झारखंड में प्लास्टिक कचरे की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में हर साल 71,433 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हो रहा है, जो 2017 में लागू सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के समय के 50,000 टन से काफी अधिक है। यह वृद्धि चिंता का विषय है, क्योंकि यह पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता पर गंभीर खतरा पैदा कर रही है।
प्लास्टिक कचरे का बढ़ता बोझ
झारखंड में 2017 और 2022 में केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरुआती वर्षों में कचरे की मात्रा में कमी देखी गई थी। खासकर, कोविड-19 महामारी के दौरान 2020-21 में यह मात्रा घटकर 20,263 टन रह गई थी। लेकिन 2022-23 में यह फिर से बढ़कर 71,433 टन तक पहुंच गई। पूरे देश में इसी अवधि में 41 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ, जिसमें झारखंड का नाम विशेष रूप से ऊपर है।
पड़ोसी राज्य बिहार में 2022-23 में 63,361 टन प्लास्टिक कचरा दर्ज किया गया, जो झारखंड से कम है। वहीं, दिल्ली में सबसे अधिक और सिक्किम में सबसे कम प्लास्टिक कचरा निकलता है।
विशेषज्ञों की चिंता
जानकारों की माने तो “प्लास्टिक कचरा न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर समस्या है। प्रतिबंध के बावजूद सिंगल-यूज प्लास्टिक का उपयोग रांची के बाजारों से लेकर छोटे-छोटे दुकानों तक देखा जा सकता है।” उन्होंने सुझाव दिया कि 1200 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर सीमेंट फैक्ट्रियों में प्लास्टिक को रिसाइकिल करने का पुराना प्रयोग फिर से शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि यह कम प्रदूषण फैलाता है।
पर्यावरण पर प्रभाव
प्लास्टिक कचरे का जैविक क्षरण न होने के कारण यह सैकड़ों-हजारों वर्षों तक पर्यावरण में बना रहता है। यह नदियों, झीलों और मिट्टी को प्रदूषित करता है, जिससे जलीय और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (2018) के एक शोध के अनुसार, 90% बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इसके अलावा, कपड़ों में उपयोग होने वाले 70% सिंथेटिक फाइबर और खुले में कचरा जलाने से श्वसन के माध्यम से भी माइक्रोप्लास्टिक शरीर में प्रवेश कर रहा है।
समुदाय की पहल और जागरूकता
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के मौके पर झारखंड जैव विविधता बोर्ड ने एक राज्यव्यापी एंटी-प्लास्टिक अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत जैव विविधता प्रबंधन समितियां (बीएमसी) प्लास्टिक कचरे वाले क्षेत्रों की पहचान कर उनकी सफाई कर रही हैं। बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव कुमार ने कहा, “यह सिर्फ सफाई अभियान नहीं है, बल्कि सिंगल-यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास है।” इस अभियान में नुक्कड़ नाटक, जागरूकता रैलियां और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
समाधान की दिशा में कदम
रिसाइक्लिंग को बढ़ावा: झारखंड में पहले किए गए प्रयोग, जैसे पंचायतों से प्लास्टिक इकट्ठा कर सीमेंट फैक्ट्रियों में रिसाइकिल करना, को फिर से शुरू करने की जरूरत है। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, केवल 9% प्लास्टिक ही रिसाइकिल हो पाता है, जबकि 50% लैंडफिल में चला जाता है।
जागरूकता अभियान: दुकानदारों और उपभोक्ताओं को कपड़े के थैले और बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना।
कानून का सख्ती से पालन: सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए दुकानदारों और निर्माताओं पर कड़ी निगरानी और जुर्माने की व्यवस्था।
गौरतलब है की विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम “वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना” झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। यह समय है कि सरकार, समुदाय और व्यक्ति मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं। समाज मे रहने वाले सभी लोगो को , सब्जी बाजारों से लेकर छोटे-बड़े दुकानों तक को, सिंगल-यूज प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी लेनी होगी।