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इस मुहूर्त में पूजा करने से मिलेगा फल, जानें महाशिवरात्रि में पूजा का विधि..

महाशिवरात्रि 2021 आज यानी 11 मार्च को है. इस बार यह पर्व विशेष संयोग के साथ पड़ रहा है. वैसे तो मासिक शिवरात्रि हर माह मनायी जाती है. लेकिन, इस महा शिवरात्रि (Maha Shivratri) के दिन विशेष का महत्व होता है। मान्यताओं की मानें तो इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ (Mahashivratri 2021 Puja Vidhi) करने से भोले बाबा भक्तों के सारे कष्ट करते है. रांची के पहाड़ी मंदिर समेत अन्य शिव मंदिर में महाशिवरात्री की तैयारी की गई है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र
शिव पंचाक्षर श्लोक 1: नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय. नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जिनके कंठ मे सांपों का माला है, जो तीन नेत्रों वाले हैं. भस्म से जिनका अनुलेपन हुआ, दिशांए जिनके वस्त्र है. उस महेश्वर ‘न’ कार स्वरूप शिव को हार्दिक नमस्कार है।

शिव पंचाक्षर श्लोक 2: मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय. मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: जिस शिव की अर्चना गंगाजल और चन्दन से हुई। जिनकी पूजा मन्दार के फूल व अन्य पुष्पों से हुई है, उन नन्दी के अधिपति और प्रमथगणों के स्वामी महेश्वर ‘म’ स्वरूप भोले शिव को सदैव नमस्कार है।

शिव पंचाक्षर श्लोक 3: शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय. श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो कल्याणकारी है। पार्वती माता को प्रसन्न करने के लिए खुद सूर्य स्वरूप हैं. राजा दक्ष के यज्ञ के जो नाशक हैं, जिनकी झंडे में बैल की निशानी है, उन शोभाशाली श्री नीलकण्ठ ‘शि’ कार स्वरूप भोल शिव को नमस्कार है।

शिव पंचाक्षर श्लोक 4: वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय. चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: असुर से लेकर वशिष्ठ, अगस्त्य व गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियों ने तथा इंद्र देव ने भी जिनके आगे मस्तक झुकाए है, शिव की पूजा की है. जिनके चंद्रमा, सूर्य और अग्नि जैसे प्रलयकारी नेत्र हैं. उन ‘व’ कार स्वरूप शिव को सदैव नमस्कार है।

शिव पंचाक्षर श्लोक 5: यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय. दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो यक्षरूप धारण करने वाले हैं, जो जटाधारी, व जिनके हाथ में उनका पिनाक नामक धनुष है। जो दिव्य है, सनातन पुरुष हैं. उन दिगम्बर शिव के ‘य’ कार स्वरूप को नमस्कार है।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ. शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

अर्थ- जो सदैव शिव के समक्ष इस पवित्र पंचाक्षर मंत्र का जाप करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ वह शिवजी के साथ आनंदित जीवनयापन करता है।

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