04.05.2023 14.51.02 Rec

झारखण्ड में 15 लाख के इनामी नक्सली (naxal) ने पुलिस के सामने घुटने टेके।

 

Naxal

झारखण्ड में एक बार फिर 15 लाख के इनामी नक्सली ने पुलिस के सामने घुटने टेके। दरअसल चतरा जिला में आतंक का प्रयाय माना जाने वाला 15 लाख का इनामी रिजनल कमांडर इंदल गंझू ऊर्फ ललन गंझू ने आत्म समर्पण कर दिया है। आज रांची के पुलिस क्षेत्रीय कार्यालय डोरंडा में आइजी अभियान अमोल वीणुकांत होमकर, झारखंड पुलिस एवं सीआरपीएफ के पदाधिकारियों के समक्ष उसने हथियार डाला। पुलिस इसे बड़ी सफलता मान रही है।
अप्रैल माह में चतरा में हुई माओवादियों और पुलिस की मुठभेड़ के बाद कमांडर इंदल गंझू का पटना पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण करने की बात सामने आ रही थी। हालांकि इस आत्मसमर्पण पर पुलिस ने किसी तरह का कोई बयान जारी नहीं किया था।

इंदल गंझू का पूरा नाम इंदल उर्फ उमा उर्फ इंदल है। उसके पिता का नाम हरिहर भोक्ता है। वह गया के इमामगंज थाना क्षेत्र के असरैना गांव का रहनेवाला है। उसके खिलाफ उसके नाम बिहार-झारखंड में करीब 100 से अधिक केस दर्ज हैं। जिसमे
चतरा जिले में 48
पलामू जिले में 01
हजारीबाग जिले में 05
गया जिले में 77
औरंगाबाद जिले में 13 मामले दर्जे है यह भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के झारखंड में रीजनल कमेटी का मेंबर है।

चतरा जिले के लावालौंग थाना क्षेत्र में तीन अप्रैल को माओवादियों और सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ हुई थी। जिसमें माओवादियों के टॉप पांच कमांडर मारे गए थे। बताया जा रहा है कि इंदल गंझू भी इसी टीम का हिस्सा था। मुठभेड़ के बाद वह इलाके से भागने में कामयाब रहा।

बताया जा रहा है कि लावालौंग मुठभेड़ में माओवादी कमांडर गौतम पासवान की मौत होने के बाद इसे माओवादियों के मध्यजोन का टॉप कमांडर बनाने की बात चल रही थी। वहीं मध्य जोन का प्रमुख बनने में दूसरा नाम मनोहर गंझू का भी आ रहा था। इंदल गंझू पर पलामू, चतरा, लातेहार जिले में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हैं। पलामू के मनातू, हरिहरगंज और नौडीहा बाजार में सबसे ज्यादा एफआईआर दर्ज किए गए हैं।

जाहिर है झारखंड में पुलिस और राज्य सरकार की अपील पर कई बड़े नक्सलियों ने हथियार डाले हैं। सरकार झारखंड को नक्सल मुक्त बनाने के लिए लगातार अभियान चला रही है। नक्सली संगठनों से जुड़े लोगों से कहा गया है कि वे सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाते हुए सरेंडर करें और देश के बेहतर नागरिक बनें। पुलिस की कार्रवाई से बचने और सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर करने लगे हैं।

 

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