MGNREGA workers

52 करोड़ की भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बाद सरकार ने पत्र लिखकर मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पूछताछ की

झारखंड में मनरेगा में 52 करोड़ की वित्तीय हेराफेरी किए जाने को केंद्र ने गंभीरता से लिया है. न्यूज़ में खबर प्रकाशित होने के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव एनएन सिन्हा ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पूछताछ की है. मुख्य सचिव झारखंड को इस बाबत पत्र लिखकर अनियमितताओं की शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव एनएन सिन्हा ने लिखा है की झारखंड मनरेगा की सोशल ऑडिट की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि वहां बड़े पैमाने पर वित्तीय हेराफेरी की गयी है. ऐसे में राज्य में किए गये वित्तीय गड़बड़ी पर अब तक क्या कार्रवाई की गयी है इस पर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दिया जाए. जितनी राशि की वित्तीय गड़बड़ी की बात सामने आयी है उसकी वसूली करने को कहा गया है. इस संबंध में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी निर्देश दिया है.

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दरअसल, मनरेगा में सामाजिक अंकेक्षण का प्रावधान है. विभाग ने इस पर एक विशेष सेल भी बना रखा है. यह कोषांग झारखंड के सभी जिलों में पंचायतवार मनरेगा योजना की सोशल ऑडिट करता है. विभाग की इसी सोशल ऑडिट में यह बात सामने आयी है कि विगत तीन-चार सालों में बडे पैमाने पर मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार हुआ है. अधिकारियों-कर्मियों की मिलीभगत से वित्तीय हेराफेरी की गयी है.केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना मनरेगा में बडे पैमाने पर हर जिले में गड़बड़ियां हुई है. अधिकारियों-कर्मियों,सप्लायरों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर लूट की गयी है. मजदूरों के हक का पैसा भी आपसी मिलीभगत से डकार लिया गया है. करोड़ों के व्यारे-न्यारे हुए. मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी की गयी. ढोभा निर्माण, कुंआ निर्माण, पशु शेड, बकरी शेड आदि योजनाओं में गड़बड़ी की बात सामने आ रही है. मनरेगा की सोशल ऑडिट में इस योजना की कलई खुली. अधिकारियों-कर्मियों की मिलीभगत से लगभाग 52 करोड़ रुपये हड़पे गये हैं। सर्वाधिक वित्तीय गड़बड़ी पलामू जिला में 6.37 करोड़, गढ़वा में 5.93 करोड़,धनबाद में 2.88 करोड़ की हुई है. रांची में भी 2.17 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी पकड़ में आयी है.

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भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बाद सरकार ने कार्रवाई प्रारंभ की पर अभी तक 1.4 करोड़ की राशि की ही वसूली हो पायी है. धनबाद, देवघर,पाकुड़,बोकारो जिलों में एक रुपये की भी वसूली नहीं हो पायी. यही स्थिति अधिकांश जिलों में है जहां काफी कम मात्रा में वसूली हो पायी है. ऐसे में अभी 50 करोड़ के आसपास का हिसाब नहीं मिल रहा है भारत सरकार के ग्रामीण विकास सचिव, एनएन सिन्हा का कहना है कि झारखंड के ही अधिकारियों ने यह रिपोर्ट दी है कि बड़ पैमाने पर राशि की वित्तीय हेराफेरी की गयी है. ऐसे में उक्त राशि की वसूली भी करना जरूरी है. केंद्र से मजदूरों के लिए आवंटित पैसा मजदूरों को ही मिले यह विभाग की जवाबदेही है. ऐसे में झारखंड के अधिकारियों को राशि की अविलंब रिकवरी कर इसकी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है.

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