गिरिडीह में मनाया गया अक्षय नवमीं का त्योहार.
गिरिडीह, दिनेश.
गिरीडीह : कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला अक्षय नवमी सोमवार को जिले के गिरीडीह, पीरटांड़ बगोदर, सरिया, बिरनी, तीसरी, गावां सहित डुमरी प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में परंपरा व मान्यताओं के साथ मनाया गया। दर्जनों श्रद्धालु भगवान विष्णु के प्रतीक आंवला पेड़ के नीचे बैठ पूरे विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर अपने व अपने परिवार की सुख शांति व समृद्धि की कामना की। अक्षय नवमी की पूजा आवंले के पेड़ से जुड़ी होने के कारण इसे आंवला नवमी भी कहा गया है। अक्षय नवमी की पूजा करने वाली महिलाएं अच्छे और अपनी पसंदीदा पकवान बनाकर आवंले के पेड़ के नीचे बैठ पूजा की और पूजा आराधना के बाद सपरिवार आंवले के पेड़ के नीचे प्रसाद ग्रहण किया। महिलाएं फूल, हल्दी, चावल, कुमकुम व मिठाई से पूजा कर पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर हवन कर आंवले के पेड़ की परीक्रमा किया।
कोनार नहर कार्यालय समीप पूजा करा रहे धीरज पांडेय ने पूजा अनुष्ठान संपन्न कराया। उन्होंने बताया कि जो लोग अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष का पूजन करते हैं उनपर लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और मनोकामना पूर्ण करती हैं। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के पूजन से सभी देवी देवताओं की पूजा के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। पूजन कर रही महिलाएं माया सिन्हा, बिन्दा देवी, वृन्दा देवी, आशा देवी, गायत्री देवी, मालती देवी, गीता देवी, प्रभा देवी, ललीता देवी, डोली, शिंकु,/चांदनी, रूपा, स्वीटी,-खुशी आदि ने बताया कि सनातन धर्म से जुड़े लोगों के लिए कार्तिक मास अत्यंत ही पवित्र एवं नियम व निष्ठा से जुड़ा महीना होता है।कहा कि अक्षय नवमी की पूजा से एक यज्ञ के समतुल्य पुण्य होता है।