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वक्फ संशोधन बिल पर जदयू के समर्थन से नाराज जदयू के साथ मुस्लिम नेताओं ने दिया इस्तीफा

वक्फ संशोधन बिल पर जदयू के समर्थन के बाद बिहार में JDU में राजनीतिक भूचाल  आ गया है । JDU के सात मुस्लिम नेताओ इन इस्तीफा दे दिया है। जानकारी के मुताबिक इन सात मुस्लिम नेताओं ने पार्टी पर आरोप लगाया है कि पार्टी सेकुलर छवि से दूर हो गई है और इसका खामियाजा बिहार चुनाव में जदयू को भुगतान पड़ सकता है आईए जानते हैं कौन-कौन से नेताओं ने इस्तीफा दिया है

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नाम
मोहम्मद कासिम अंसारी: ढाका विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी, जिन्होंने 3 अप्रैल 2025 को इस्तीफा दिया। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि JDU का वक्फ बिल को समर्थन मुस्लिम समुदाय के साथ विश्वासघात है और इससे पार्टी की सेक्युलर छवि को नुकसान पहुंचा है।
मोहम्मद शाहनवाज मलिक: अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव, जिन्होंने 4 अप्रैल को इस्तीफा दिया। उन्होंने लोकसभा में JDU नेता ललन सिंह के बयान को “आहत करने वाला” बताया।
नदीम अख्तर: बेतिया जिला के उपाध्यक्ष, जिनका इस्तीफा 5 अप्रैल को सामने आया
सीएन तबरेज सिद्दीकी: प्रदेश महासचिव, जिन्होंने  बिल के समर्थन के विरोध में इस्तीफा दिया।
एम. राजू नैयर: पूर्व प्रदेश सचिव, जिन्होंने इसे “मुस्लिम विरोधी काला कानून” करार दिया।
मो. दिलशान राइन: भोजपुर से नेता, जिनका नाम इस्तीफों की सूची में शामिल है।
मो. फिरोज खान: नवादा जिले के जिला सचिव, जिन्होंने भी पार्टी छोड़ दी।
मुस्लिम समुदाय के साथ विश्वासघात का आरोप
इस्तीफा देने वाले नेताओं ने JDU पर मुस्लिम समुदाय के प्रति अपनी सेक्युलर प्रतिबद्धता से भटकने का आरोप लगाया है। मोहम्मद कासिम अंसारी ने अपने पत्र में लिखा, “मैंने पार्टी को कई साल दिए, लेकिन अब मुस्लिमों का भरोसा टूट गया है।” इसी तरह, शाहनवाज मलिक ने कहा कि बिल संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है।

बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 18% है, और JDU लंबे समय से नीतीश कुमार के नेतृत्व में मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा हासिल करती रही है।
गुलाम गौस का बयान
JDU MLC गुलाम गौस ने बिल को “असंवैधानिक” बताया और नीतीश कुमार से हस्तक्षेप की मांग की थी। यह बयान 1 अप्रैल 2025 को सामने आया था, जब बिल लोकसभा में पेश होने वाला था। उन्होंने कहा, “यह हमारी धार्मिक आस्था का मामला है।”
पार्टी की सेक्युलर छवि पर सवाल
इस्तीफा देने वाले नेताओं ने JDU की सेक्युलर छवि पर सवाल उठाया। शाहनवाज मलिक ने ललन सिंह के लोकसभा में बिल समर्थन को “दुखद” बताया, ललन सिंह ने इस बिल को पारदर्शिता के लिए जरूरी ठहराया था।
गौरतलब है नीतीश कुमार ने पिछले 19 वर्षों में मुस्लिम समुदाय के लिए कई कल्याणकारी कदम उठाए हैं, जैसे अल्पसंख्यक कल्याण बजट को 2,200 करोड़ से बढ़ाकर 7,000 करोड़ करना। लेकिन बिल समर्थन ने इस छवि को चुनौती दी है।
. कानूनी मोर्चे की तैयारी
ऐदारा-ए-शरिया के अध्यक्ष मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने बिल के खिलाफ कानूनी लड़ाई की घोषणा की है।

JDU का पलटवार
JDU प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि इस्तीफा देने वाले कुछ नेता पार्टी के औपचारिक सदस्य नहीं थे।

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