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नए साल के आगमन से पहले पुलिस ने नक्सलियों को दिया है बड़ा झटका.

गिरिडीह, दिनेश.

गिरिडीह : नए साल के आगमन से पहले ही गिरिडीह पुलिस के लिए सिरदर्द बने कई नक्सलियों पर शिकंजा कसने में सफलता मिली है जिसमें पुलिस को बड़ी सफलता भी हाथ लगी है बता दें कि गिरिडीह पुलिस द्वारा 23 दिसंबर की रात से ही इन नक्सलियों के गिरफ्तारी की ब्लूप्रिंट बन चुकी थी गिरफ्तार नक्सलियों में सुरेश मांझी तथा प्रशांत मांझी शामिल है जो दोनों दस दस लाख के इनामी नक्सली हैं हालांकि इस विषय पर पुलिस अभी चुप्पी बनाकर रखी हुई है तथा इसकी पुष्टि पुलिस के वरीय और कनीय अधिकारियों द्वारा नहीं की गई है परंतु आंतरिक सूत्रों से यह खबर संपुट है  जिस पर रविवार दोपहर या शाम तक पर्दा उठ जाने की संभावना जताई जा रही है। 

सूत्रों की माने तो एक महिला नक्सली को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है जिसका नाम प्रभा बताया जा रहा है बता दे की नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल अभियान के तहत नक्सलियों को उसके ही घर में घेरने की कवायद के प्रारंभिक तौर पर उन गांव मैं पुलिस पिकेट और सीआरपीएफ कैंप का निर्माण प्रस्तावित है जिसको लेकर पुलिस भूमि का लेआउट शुरू कर दिया है इसे देखते हुए नक्सलियों के पेट में दर्द शुरू हो गया है. इन नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों को मोहरा बनाकर पुलिस कैंप और सीआरपीएफ निर्माण का विरोध करवाया जा रहा है , जबकि वास्तविकता यह है कि इन इन क्षेत्रों में सीआरपीएफ और पुलिस पिकेट खुल जाने से सुदूरवर्ती गांव का विकास ही होगा ना कि विनाश.

ग्रामीण सूत्रों के अनुसार जब से पारसनाथ के तलहटी में बसे गांव में पुलिस द्वारा सीआरपीएफ कैंप एवं पुलिस पिकेट निर्माण की बात इन नक्सलियों तक पहुंची है तब से नक्सलियों द्वारा रात में इन गांवों के ग्रामीणों के साथ बैठक करते हुए विरोध के स्वर को तेज करने की जोर जबरदस्ती शुरू कर दिया है ।

सीधे साधे आदिवासी बहुल इलाकों में रहने वाले इन ग्रामीणों के पास करो या मरो के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है परिणाम स्वरूप नक्सलियों के बहकावे में आकर ग्रामीणों ने पुलिस पिकेट और सीआरपीएफ कैंप के निर्माण का विरोध शुरू कर दिए इसकी शुरुआत मधुबन थाना क्षेत्र के टेसाफुली गाँव से 10 दिसंबर से की गई जहां मांझी हराम के नेतृत्व में टेशाफूली के फुटबॉल मैदान में एक ग्राम सभा किया गया जहां ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम एक आवेदन बनाकर सीआरपीएफ कैंप एवं पुलिस पिकेट के प्रस्तावित निर्माण को रोकने का अनुरोध किया गया था।

 इस दौरान ग्रामीणों द्वारा सिर्फ सच को बताया गया कि जान देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे ग्ग्रामीण महिलाओं ने पुलिस पर यह आरोप लगाया था कि महिलाएं जब जंगल सूखी लकड़ी अथवा मवेशियों को चराने के लिए जाती है तब पुलिस उसे जंगल में देख नक्सली घोषित करते हुए थाना ले जाने की धमकी देते हैं तथा अभद्र व्यवहार करती है हालांकि इस आरोप में सच्चाई क्या है यह तो ग्रामीण अथवा पुलिस ही बता सकती है अर्थात ग्रामीण महिलाओं का आरोप में कितना सच्चाई है ये तो जांच का विषय है ।

वही 17 दिसंबर को आदिवासी बाहुल्य गांव के ग्रामीणों द्वारा खुखरा थाना क्षेत्र के तुइयो पंचायत के पर्वतपुर में बनने जा रहे सीआरपीएफ कैंप का विरोध प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन पुनः 23 दिसंबर को बड़ी उग्रता के साथ देखने को मिली जब पीरटांड़ प्रखंड के विभिन्न आदिवासी गांव के महिला पुरुष हरवे हथियार के साथ पर्वतपुर में बन रहे सीआरपीएफ कैंप का विरोध करने पहुंचे इस दौरान लगभग हजारों की संख्या में महिला और पुरुषों द्वारा जुलूस की शक्ल में पांडेडीह  पहुँचे थे अस्थाई सीआरपीएफ कैंप में घुसकर उपद्रव मचाया तथा तोड़फोड़ किए हालांकि पुलिस बल द्वारा बहुत ही संयुक्त रूप से इन उपद्रवियों को बाहर निकाला गया। अगर पुलिस संयम तोड़ती तो बड़ी घटना हो सकती थी परंतु पुलिस ने बहुत ही समझदारी से इस घटना को टाल दिया हालांकि जानकार बताते हैं कि इस बड़े जुलूस में कई इनामी नक्सलियो का भी सम्मिलित होना महज एक इत्तेफाक था परंतु पुलिस के नजर से शायद कैसे बच सकते थे । 

जानकार बताते हैं कि पुलिस ने फौरन अपना खुफिया तंत्र को तेज करते हुए जुलूस में ही घुसा दिया तथा जुलूस में कितने नक्सली थे सबका रेकी करवा लिया और फिर क्या कहना था पुलिस ने दूसरे दिन से ही ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की और दो 2 दिन के मेहनत में दो बड़े इनामी नक्सलियों को धर दबोचा , साथ में एक महिला नक्सली को भी पकड़ने में सफलता मिली है तथा कयास लगाया जा रहा है कि कई अन्य नक्सलियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार की है हालांकि इसकी पुष्टि पुलिस पदाधिकारियों द्वारा नहीं की गई है ।

वहीं जानकार बताते हैं कि इन गिरफ्तार नक्सलियों कई राज उगले हैं तथा इनके निशानदेही पर भारी मात्रा में गोला बारूद व विस्फोटक पुलिस ने बरामद की की है। वही पुलिस द्वारा इस जुलूस में उपद्रव मचाने वाले लोगों को भी धर दर्द हो जाने की प्रक्रिया धारदार रूप से की जा रही है ताकि इन उपद्रवियों से भी पुलिस या पता लगाना चाहती है कि आखिर किन के सारे से पुलिस पिकेट और सीआरपीएफ कैंप के निर्माण का विरोध किया जा रहा है सच्चाई जो भी हो पुलिसिया पूछताछ फिलहाल चालू है तथा आने वाले नए साल में कई नक्सलियों को पुलिस जेल के सलाखों के अंदर कर लेगी ऐसी संभावना बताई जा रही है।

हालांकि साल के अंत में पुलिस को दो बड़े इनामी नक्सलियों को धर दबोचना जशन ए वेरी वेरी हैप्पी न्यू ईयर की तरह है तो वही साल का अंत इन गिरफ्तार नक्सलियो के लिए मातम का आगाज कर दिया है। 

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