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बीमा कर्मचारी संघ द्वारा एलआईसी में आईपीओ के विरोध में जिला स्तरीय अधिवेशन

धनबाद : आज आईसीए हॉल में बीमा कर्मचारी संघ हज़ारीबाग मंडल द्वारा एलआईसी में आईपीओ लाने के भारत सरकार के निर्णय के विरोध में एक दिवसीय जिला स्तरीय अधिवेशन का आयोजन किया गया था। आज के अधिवेशन में एलआईसी में आईपीओ लाने का जोरदार विरोध किया गया। अधिवेशन में विमर्श का आरंभ करते हुए संघ के संयुक्त सचिव सुमित कुमार सिन्हा ने कहा कि आई पी ओ के माध्यम से एल आई सी के शेयर को बेचना देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा। ज्ञातव्य हो कि आजादी मिलने के समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी। देश के विकास के पैसे की बहुत ही जरूरत थी। उस समय देश के सबसे बड़े वित्तीय संस्थान भारतीय जीवन बीमा निगम का गठन 1956 में संसद के एक विशेष अधिनियम किया गया था। “लोगों के कल्याण के लिए लोगों का पैसा”और ” इस देश में सभी के लिए जीवन बीमा सुरक्षा प्रदान करना” की दृष्टि के साथ, जिसे एल आई सी ने सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। 1956 में मात्र 5 करोड़ की पूंजी के साथ स्थापित इस निगम ने अपने 65 साल की सफल यात्रा में आज 38 लाख 56 हज़ार 686 करोड़ रुपये की परिसम्पत्ति का निर्माण किया है। “ब्रांड फाइनेंस इंश्योरेंस -100” द्वारा जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार एल आई सी विश्व का तीसरा सबसे मजबूत ब्रांड तथा 10 वां सबसे मूल्यवान ब्रांड बन चुका है। एल आई सी अपने स्थापना के बाद से भारत सरकार को अबतक लगभग 28,700 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में दे चुका है।आज के अधिवेशन में अपनी बात रखते हुए बीमा कर्मचारी संघ हज़ारीबाग मंडल के महामंत्री जगदीश चंद्र मित्तल ने कहा एल आई सी का आई पी ओ लाना अनुचित औऱ अनावश्यक है। महामंत्री ने कहा कि एल आई सी की वार्षिक आय 6 लाख करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार जितना कर्ज लेती है उसका 25% निगम देता है। दरअसल निगम को पूंजी की जरूरत नहीं है, निगम के पैसे की जरूरत बाजार को है।
देश की जससंख्या 133 करोड़ है। जिसमे मात्र 3 करोड़ लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं। ये 3 करोड़ प्रभावशाली लोग हैं जिनके लाभ के लिए निगम की शेयर बाजार में उतारा जा रहा। देश की आर्थिक संप्रभुता को आसमान की ऊँचाई देने भारतीय जीवन बीमा निगम ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। बीमा क्षेत्र के खुलने के दो दशकों बाद भी एल आई सी की बीमा बाजार में हिस्सेदारी 74.58% है।
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अधिवेशन के मुख्य वक्ता प्रो डॉ हिमांशु शेखर चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि पूंजी जरूरी है, लेकिन पूंजीवाद जरूरी नही है.सीएजी ने भी अपने रिपोर्ट में एसबीआई के बाद एलआईसी को दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम बताया है.पूंजीवादियों के स्वार्थो को पूरा करने के लिये एलआईसी जैसे बड़े सार्वजनिक उपक्रम का आईपीओ के बहाने विनिवेशीकरण राष्ट्र के जनतंत्र के लिये खतरा है.वही विशेष वक्ता पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि सार्वजनिक उधोग अगर घाटे में हो तो निजीकरण समझ मे आता है,लेकिन एलआईसी जैसे बेहतरीन कंपनी जो घाटे में चल रही उपक्रमो को वितीय सहायता देने का कार्य करती है.उसका आईपीओ लाकर निजीकरण करना देश हित मे नही है.देश बचाने के लिये एकजुट हो सभी संगठनों को आंदोलन करना होगा तभी सार्वजनिक उपक्रम बचेगा. अधिवेशन की अध्यक्षता संघ के अध्य्क्ष साथी महेंद्र किशोर प्रसाद ने की तथा अधिबेशन का संयोजन संघ का संयुक्त सचिव नीरज कुमार एबं धन्यवाद ज्ञापन साथी हेमंत मिश्रा ने किया। अधिवेशन में बीमा कर्मचारी संघ के सभी साथियों के साथ सीटू, बी एस एस आर यू, मजदूर कर्मचारी समन्वय समिति धनबाद, बेफी,बी सी के यू, बी सी सी एल स्टाफ कॉर्डिनेशन, पोस्टल एम्प्लॉयी यूनियन , बी एस एन एल कर्मचारी यूनियन, झारखंड राज्य जान स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, आयकर कर्मचारी संघ, आई एस एम कर्मचारी संघ, डी वाई एफ आई, एस एफ आई, जनवादी लेखक संघ,जनवादी महिला समिति, एल आई सी क्लास वन ऑफिसर फ़ेडरेशन, एन एफ आई एफ डब्ल्यू आई, लियाफी समेत अनेक श्रम संगठन के साथियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया एवम अधिवेशन को फलनाने के लिए नीरज कुमार, हेमन्त मिश्रा, जगदीश चन्द्र मित्तल, महेंद्र किशोर प्रसाद, सुमित सिन्हा, अलगू प्रसाद, अमरजीत राजबंशी,मदन कुमार पाठक,धर्मप्रकाश सहित अन्य उपस्थित थे.

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