भाजपा प्रवक्ता अमित मंडल का हेमंत सरकार पर तीखा हमला: भाषा विवाद को लेकर जनता को भड़काने का आरोप
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता और गोड्डा के पूर्व विधायक अमित मंडल ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर भाषा विवाद को लेकर तीखा हमला बोला है। रांची में आयोजित एक प्रेस वार्ता में मंडल ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार भाषा के नाम पर राज्य की जनता को आपस में लड़वा रही है और बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने की कोई मंशा नहीं रखती। उन्होंने सरकार को “अबुआ सरकार नहीं, बबुआ सरकार” करार देते हुए कहा कि यह सरकार झारखंड की मूल संस्कृति, भाषाओं और जनजातीय पहचान को खत्म करने की साजिश रच रही है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मंडल ने कहा कि सरकार ने खूंटी से मुंडारी, पलामू-गढ़वा से भोजपुरी, और गोड्डा से अंगिका और कुड़ुख जैसी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हटा दिया है। उन्होंने इसे जनगणना के बिना लिया गया एकतरफा निर्णय बताया और इसे झारखंड की क्षेत्रीय अस्मिता का अपमान करार दिया। मंडल ने जोर देकर कहा कि भाजपा किसी भी भाषा के विरोध में नहीं है, लेकिन अंगिका, भोजपुरी और मुंडारी जैसी भाषाओं को हटाने के इस कदम का कड़ा विरोध करती है।
मंडल ने J-TET 2025 में भाषा के आधार पर हुए अन्याय का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व में भाजपा सरकार के दौरान मंत्री मिथिलेश ठाकुर और सांसद निशिकांत दुबे के प्रयासों से भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा में शामिल किया गया था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे हटाकर युवाओं के साथ अन्याय किया है। उन्होंने यह भी बताया कि 2016 के J-TET में अंगिका शामिल थी, लेकिन अब इसे गोड्डा से हटाकर वहां की जनता को अपमानित किया गया है।
मंडल ने सत्ता पक्ष के मंत्रियों और विधायकों से सवाल उठाए। उन्होंने मंत्री राधाकृष्ण किशोर से पूछा कि क्या पलामू-गढ़वा में मगही बोली जाती है? साथ ही, अंगिका में शपथ लेने वाली विधायक दीपिका पांडे सिंह और मंत्री संजय यादव से सवाल किया कि क्या उन्हें गोड्डा में अंगिका की बहुलता का पता नहीं है? उन्होंने सांसद कालीचरण मुंडा से भी पूछा कि खूंटी में मुंडारी बोली जाती है तो उसे क्षेत्रीय भाषा की सूची से क्यों हटाया गया?
मंडल ने आरोप लगाया कि कैबिनेट ने क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने की मांगों को अनसुना किया। उन्होंने कहा कि मंत्री राधाकृष्ण किशोर और विधायक दीपिका पांडे सिंह ने लिखित रूप से अंगिका को शामिल करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। मंडल ने यह भी सवाल उठाया कि जब कुरमाली को हटाया गया तो झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) चुप क्यों रहा? उन्होंने इसे महागठबंधन को चुनावी लाभ पहुंचाने की साजिश बताया।
मंडल ने कहा कि हेमंत सरकार J-TET को जानबूझकर उलझा रही है ताकि बहाना बनाकर युवाओं को नौकरी से वंचित किया जा सके। उन्होंने खतियानी नीति की आड़ में अंगिका भाषी युवाओं के साथ धोखा करने का आरोप लगाया और पूछा कि क्या गोड्डा, पलामू और गढ़वा झारखंड का हिस्सा नहीं हैं? उन्होंने सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि इन जिलों की भाषाओं को क्यों दरकिनार किया जा रहा है।
अमित मंडल ने चेतावनी दी कि यदि भाषाओं के साथ यह अन्याय जारी रहा तो भाजपा और जनजातीय समाज मिलकर सड़क से लेकर विधानसभा तक जनआंदोलन चलाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की इस नीति से झारखंड की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को ठेस पहुंच रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।




