प्रोनति का रास्ता साफ, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी मंजूरी।
हेम॑त सौरेन ने कार्मिक विभागके मंत्री के तौर पर राज्य में सभी विभागों की प्रोलति पर लगी रोक हटाने पर सहमति दे दी है, निवमानुसार अब मुख्यमंत्री के रूप में भी उनके द्वार फाइल पर स्वीकृति देने की प्रक्रिया चल रही है, मुख्य सचिव के माध्यम से फाइल मुख्यमंत्री के पास भेजी जा रही है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद लगभग एक वर्ष से रोकी गयी प्रोनति का रास्ता साफ हो जायेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य में 24 दिसंबर 2020 से सभी तरह की सेवाओं में प्रोलति पर रोक लगा दी गयी थी. जिससे राज्य सरकार के कई अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति बिना पति के ही हो गयी है.प्रोन्नति के आधार घर भरे जाने हैं 57,182 पद : कार्मिक विभाग के मुताबिक राज्य सरकार के 34 विभागों में से 31 में स्वीकृत पदों की कुल संख्या 3,01,198 है. जिनमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं, जबाकि 2,44,016 पद सीधी नियुक्ति से भरे जाने है.
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रिक्तियों को भरने के लिए झारखंड सरकार की सभी नौकरियों में एसटी-एससी के अ्रतिनिधित्व व प्रशासकीय क्षमता का मूल्यांकन कराया गया है. सेवाओं और पदों के अधीन प्रोनति, प्रशासनिक दक्षता और क्रोमी लेबर में एसटी- एसटी के प्रतिनिधित्व की अपयाप्तता ‘पर रिपोर्ट तैयार की गयी है. अभी भी कम है एसटी-एससी का प्रतिनिधित्व, : रिपोर्ट में राज्य सरकार की सेवाओं में एसटी-एससी का प्रतिनिधित्व अपेक्षित स्तर से काफी नीचे बताया गया है.प्रोलति में आरक्षण की वत॑मान नौति को जारी रखने की अनुशंसा की गयी है. कहा गया है कि वर्तमान प्रावधान में किसो भी प्रकार की दौल देना या किसी भी खंड को हटाना न्यावोचित या वांनीय नहीं किये और बट पैमाने पा सामुदादिक हितों के विरुद्ध होगा. बताया गया है कि सरकार में हर स्तर पर प्रोन््नतिवाले पदों पर एसटी-एससी के प्रतिनिधित्व की अपयाप्तता है. राज्यभर में स्वीकृत प्रोनतिवाले पदों के विरुद्ध प्रोन्नति के आधार पर पद धारण करनेवाले कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या से संबंधित एसटी-एससी कर्मचारियों का प्रतिशत क्रमशः 4.45 तथा 10,04 प्रतिशत है, यह राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (क्रमशः 12.08 प्रतिशत (एससी), और 26.20 प्रतिशत (ससटी) के जनसाख्विकीय अनुपात से बहुत कम है.
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