HEMANT SOREN KUNBA

हेमंत सोरेन और उनका कुनबा कैसे निकलेगी भ्रष्टाचार (Corruption) के चक्रव्यूह से ?

Corruption

रांची : झारखण्ड की राजनीती में सियासी उठापटक कभी भी हो सकता है। झारखण्ड की राजनीति का इतिहास और कम से कम ताजा सियासी हालात तो यही बता रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन  खदान लीज मामले में, तो उनके दो मंत्री एक कोविड -19 प्रोत्साहन राशि मामले तो तो एक    जन प्रतिनिधित्व कानून के अंदर दोहरे सरकारी लाभ में जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन करने के मामले में चौतरफा घिर गए हैं। इस कड़ी में अब ताजा मामला मुख्यमंत्री के पत्नी के नाम पर चान्हो में की गयी इग्यारह एकड़ भूमि भी आ गया है।

 ऐसे में बीजेपी हेमंत सोरेन और उनके कुनबे में हुए भ्रष्टाचार (Corruption)के खिलाफ रेस हो गयी है।  वैसे इस पुरे मामले में अगर हेमंत पर अगर दोष साबित हुआ तो उन्हें  CM की कुर्सी  गवानी पद सकती है।   ऐसे में झारखंड सरकार बुरी तरह संकट में घिर जाएगी।   क्युकी  जो दिख रहा है वो ये की तमाम संवैधानिक संस्थाएं एक राज्य के मुख्यमंत्री पर लग रहे गंभीर आरोपों को लेकर रेस हो गईं हैं। अब सीएम हेमंत  एक साथ राज्यपाल, झारखंड हाई कोर्ट और चुनाव आयोग के सामने सफाई देनी पड़ेगी। जबकि  केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय भी पूरे मामले के संज्ञान में आने के बाद पूरे मामले पर नजदीकी नजर रख रहा है। इधर विपक्ष में बैठी भाजपा की सियासत भी सीएम हेमंत को हटाने को लेकर तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास,  पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी  हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाने की आवाज बुलंद कर रहे हैं। अब मुख्यमंत्री के पत्नी के नाम से जमीन आवंटन का मामला भी हेमंत सोरेन के लिए गले का फ़ांस  बन जायेगा।
 उधर दुमका के विधायक बसंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।  पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप लगाया है  दोनों पर रघुवर दास द्वारा लगाये गये आरोप और इससे संबंधित कागजातों को सत्यापित करने के लिये भारत निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य सरकार से पत्राचार किया गया है। अब इस मामले में कितनी सच्चाई है वो तो बसंत सोरेन ही बता सकते है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में ये तमाम खबरों में सुर्खियों में है।
इसी कड़ी में  हेमंत सोरेन के चहेते प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू के काले कारनामों का काला चिट्ठा उजागर सर्वोच्च न्यायालय में   है!  आरोप है की पिंटू के  नाम पर साहिबगंज के मोजे पकड़िया में स्टोन माइंस है! यह स्टोन माइंस का लीज शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर है । जिसका प्रोपराइटर अभिषेक प्रसाद हैं! यह माइंस करीबन 11.70 एकड़ में फैला हुआ है! राज्य में झामुमो और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने के बाद और झारखंड स्टेट पोलूशन कंट्रोल बोर्ड ने 28 नवंबर 2021 को स्टोन माइंस पर काम लगाने का सीटीई और 12 जनवरी 2022 को इसे चलाने का सीटीओ भी जारी कर दिया है! रघुवर दास  का आरोप है की इस कम्पनी पर करीब सरकारी आंकड़ों के अनुसार 90 लाख का निवेश किया गया है।
अब रघुवर दास ने नया नाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी  कल्पना सोरेन का जोड़ा है आरोप है की मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन की पत्नी श्रीमती कल्पना सोरेन के नाम से बिजुबाड़ा, चान्हो ब्लॉक स्थित बरहे औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ औद्योगिक भूमि आवंटित की गई है। यह मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सोहराय लाइफ प्राइवेट लिमिटेड को यह औद्योगिक भूमि आवंटित कराई है। यह कंपनी उनकी पत्नी के नाम पर है। मुख्यमंत्री स्वयं उद्योग विभाग के मंत्री हैं इसीलिए उन्हें इस विषय पर सफाई देनी चाहिए।
 विपक्ष का आरोप है की  यह कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1) (डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। इसके साथ ही भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से विधानसभा के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत निर्वाचन आयोग की राय लेकर निर्णय लेने का भी आग्रह किया। बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अपने नाम से पत्थर खदान का लीज लेने का आरोप है। इस पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। जिस पर सरकार से जवाब मांगा गया है।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कुछ दिन पहले ही मीडिया को बताया कि सीएम हेमंत सोरेन के विधायक भाई वसंत सोरेन माइनिंग कंपनी में पार्टनर हैं। उन्होंने दोनों भाइयों पर सरकार से दोहरा लाभ लेने का सनसनीखेज आरोप लगाया और विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की। रघुवर ने कहा है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा किया जा रहा खदान लीज का कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी मंत्रियों के लिए आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन है। यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए तुरंत पद से बर्खास्त कर देना चाहिए।
इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झामुमोनीत गठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर भी कोरोना महामारी के पैसे हड़पने के संगीन आरोप लगे हैं। बन्ना गुप्ता के खिलाफ बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि मंत्री ने खुद और अपने अधीनस्थ 59 अफसर-कर्मी को कोरोना प्रोत्साहन राशि के नाम पर एक महीने का अतिरिक्त वेतन देने का आदेश दिया। यह सरासर सरकारी पैसे की लूट है। इस मामले में सरयू ने सीएम हेमंत से मंत्री बन्ना गुप्ता को बर्खास्त करने और भ्रष्टाचार के मामले की एंटी करप्शन ब्यूरो   से जांच कराने की मांग की है।
जबकि पेयजल मंत्री मिथलेश ठाकुर पर आरोप है की उन्होंने विधायक और मंत्री बनने के बाद भी एक कंपनी के पार्टनर बने रहे जो कंपनी सरकारी ठेके लेती है और 2019 से लेकर 2022 तक कंपनी सरकारी ठेके ले रही है और इस कंपनी में मिथिलेश ठाकुर पार्टनर है ऐसे में उनके खिलाफ भी चुनाव आयोग ने DC गोड्डा से पूरी रिपोर्ट मांगी है।
MITHILESH THAKUAR FILE
MITHILESH THAKUAR FILE
अब देखना है की हेमंत और हेमंत का कुनबा इस भ्रष्टाचार के आरोपो से साफ़ बचकर निकल आते है या फिर इस जल में फंसकर अपनी सत्ता गवां देते है।

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