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डोनाल्ड ट्रंप भारत-पाकिस्तान सीजफायर का क्रेडिट लेने की होड़ में, भारत ने बताई सच्चाई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का बार-बार क्रेडिट लेने की कोशिश की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा तेज हो गई है। ट्रंप ने दावा किया कि उनके प्रशासन की मध्यस्थता और “ट्रेड धमकी” के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम हुआ और युद्धविराम संभव हो सका। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि इस सीजफायर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।

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ट्रंप का दावा और सोशल मीडिया पोस्ट

ट्रंप ने 10 मई 2025 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर पोस्ट कर दावा किया कि उनकी मध्यस्थता में रातभर चली बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान “पूर्ण और तत्काल युद्धविराम” पर सहमत हुए। इसके बाद, सऊदी अरब के रियाद में 13 मई को एक कार्यक्रम में ट्रंप ने फिर कहा, “हमने भारत-पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक सीजफायर कराया, जो एक परमाणु युद्ध को रोकने में मददगार साबित हुआ। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत और पाकिस्तान को व्यापार बंद करने की धमकी देकर उन्होंने दोनों देशों को समझौते के लिए मजबूर किया। ट्रंप के बेटे, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने भी सोशल मीडिया पर अपने पिता की तारीफ करते हुए कहा, भारत-पाकिस्तान सीजफायर का क्रेडिट मेरे पिता को मिलना चाहिए। अमेरिका की वजह से दुनिया सुरक्षित है।

भारत का जवाब: सीजफायर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं  

भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का फैसला दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच सीधी बातचीत के जरिए हुआ। सरकारी सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान के DGMO ने अनुरोध किया कि अगर वे गोलीबारी रोकेंगे, तो भारत भी रुकेगा। भारत ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई। इसमें किसी तीसरे पक्ष, जिसमें अमेरिका शामिल है, की कोई भूमिका नहीं थी।

ट्रंप क्यों ले रहे हैं क्रेडिट?

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम उनकी वैश्विक छवि को एक “शांति निर्माता” के रूप में स्थापित करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कुछ का कहना है कि ट्रंप भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए इस मौके का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक एक्स पोस्ट में यूजर ने लिखा कि ट्रंप भारत का मजाक उड़ा रहे हैं। वे व्यापार पर बातचीत का दबाव बना रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को अब स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इसके अलावा, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी ट्रंप के दावों का समर्थन किया, जिससे कुछ हद तक भ्रम की स्थिति बनी। हालांकि, भारत ने बार-बार दोहराया कि यह द्विपक्षीय फैसला था।

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