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कृषि विभाग में आर्थिक अनियमितता, हेमन्त सरकार बजट के पैसे खर्च करने में अक्षम : रणधीर सिंह.

Team Drishti.

राँची : राज्य के पूर्व मंत्री एवं विधायक रणधीर सिंह ने हेमन्त सरकार पर कृषि विभाग में बड़ी अनियमितता व बजट के पैसे खर्च करने में फिसड्डी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार में नेतृत्व क्षमता का घोर अभाव है। राज्य के किसानों की स्थिति बदतर हो चली है और सरकार पैसे रहते हुए भी खर्च करने में अक्षम साबित हुई है। श्री सिंह आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने विभिन्न योजनाओं पर बोलते हुए कहा कि सरकार कृषि के क्षेत्र में अब तक 20 फ़ीसदी भी खर्च नहीं कर पाई है। भारत सरकार द्वारा दिए गए पैसों को भी खर्च करने में असफल साबित हुई है। हेमंत सरकार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भी भारत सरकार को नहीं दे पाई है। इतना ही नहीं हेमंत सरकार ने किसानों के आय को बढ़ाने के उद्देश्य से रघुवर सरकार में शुरू की गई योजनाओं में कई योजनाओं को बंद कर दिया है व कई के बजट का आकार भी छोटा कर दिया है।

उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के 2819.30 करोड़ के बजट में मात्र 47.30 करोड़ यानी 8.68 फीसदी खर्च, पशुपालन में 96.50 करोड़ बजट में 5.37 करोड़ यानी 5.56 फीसदी खर्च, डेयरी में 169 करोड़ के बजट में 7.29 करोड़ यानी 4.35 फीसदी का खर्च, मत्स्य में 71.98 करोड़ के बजट में 12.95 करोड़ यानी 17.99 फीसदी का खर्च, कॉपरेटिव में 216 करोड़ के बजट में जीरो रूपिया खर्च किया गया है। उपरोक्त डाटा बतलाता है कि यह सरकार किसान विरोधी सरकार है। इस सरकार में किसान का भला नहीं हो सकता है। सरकार 1 वर्ष होने पर झूठा पीठ थपथपाने का कार्य कर रही है। इससे पूर्व की रघुवर सरकार में कृषि पशुपालन सहकारिता गव्य विकास मछली पालन के क्षेत्र में जो कार्य हो रहा था उसे बंद कर दिया या पैसे कम कर हेमंत सरकार ने किसानों के पीठ में खंजर भोंकने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार में मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के तहत 1 एकड़ में पांच हजार व 5 एकड़ में पच्चीस हजार रुपया तक 16.51 लाख किसानों को दिया जा रहा था, जिसे हेमंत सरकार ने बंद कर दिया। वही 28.63 लाख किसानों को 6 हजार रुपया दिया जा रहा था जिसमें हेमंत सरकार ने 6.32 लाख किसानों का नाम काट दिया। हेमंत सरकार ने घोषणा पत्र में ₹2 लाख तक के लोन माफ करने की बात कही थी, अब सरकार ने अपने वादों से पलटी मार दी है। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि लोन माफी की रकम भी कम होगी। वह भी एक परिवार से किसी एक का ही लोन माफ होगा। साथ ही जिन किसानों का खाता एनपीए हो गया है उन किसानों का मामला भी अधर में है।

उन्होंने कहा कि 260 ब्लॉक में मात्र 398 धान क्रय केंद्र खुला है जो काफी कम है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य जेएमएम और कांग्रेस में 25 से 27 सौ तक देने का वादा किया था जबकि मात्र 2266 रुपया तय हुआ है।जबकि सरकार के नीति के कारण किसान बिचौलियों को ग्यारह सौ से बारह सौ रुपये में धान बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत भारत सरकार ने 17 करोड़ दिया जिसमे अबतक एक रुपिया भी खर्च नहीं हुआ। किसानों को बीज खरीद के लिए रघुवर सरकार में 50 करोड़ का बजट था जिसे मात्र 15 करोड़ कर दिया गया। जबकि वर्कऑर्डर 16.73 करोड़ का है। बजट से अधिक वर्कऑर्डर यानी वित्तिय अनियमितता का मामला है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत 29 करोड़ का बजट दिया है जबकि कार्य मात्र 2.19 करोड़ हुआ, प्रति भूमि अच्छादित योजना बंद कर दिया गया। केसीसी लोन में किसानों को केसीसी के 7 फीसदी इंटरेस्ट में 6 फ़ीसदी केंद्र और राज्य सरकार देती थी जिसे बंद कर दिया गया। तालाब जीर्णोद्धार योजना के तहत 300 करोड़, जल निधि योजना के तहत 100 करोड़ , जैविक खेती योजना, प्रत्येक जिले में एक कोल्ड स्टोरेज बनाने की योजना, पैक्स व लैंप्स के तहत 100 मेट्रिक टन का गोदाम बनाने की योजना, मछली पालन हेतु केज पद्धति से मछली पालन, मछली पालन के लिए नाव,जाल, फिश मार्केट, मछुआरों को ई-रिक्शा, पिकअप वैन, आइस बॉक्स, वेदव्यास योजना के तहत आवास और हैचरी जैसे प्रमुख योजनाओं को हेमंत सरकार ने बंद कर दिया है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा परंपरागत खेती योजना के तहत 15.14 करोड़, राष्ट्रीय कृषि योजना के तहत 71.4 करोड़ दिया गया। जिसमें हेमन्त की सरकार ने ₹1 भी खर्च नहीं किया है। उन्होंने कहा कि पशुपालन क्षेत्र में रघुवर सरकार के कार्यकाल में 100 करोड रुपए दिया जा रहा था जिसे वर्तमान सरकार ने बजट घटाकर मात्र 35 करोड़ कर दिया उसमें भी एक रूपिया हेमन्त की सरकार खर्च नहीं पाई है। हेमंत सरकार में किसानों का भला नहीं हो सकता यह सरकार बड़े-बड़े विज्ञापन और होर्डिंग के सहारे अपना पीठ थपथपा ने में लगी है।

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