झारसेवा अभियान को लेकर उपायुक्त ने अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश.
देवघर : उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी श्री मंजूनाथ भजंत्री द्वारा जानकारी दी गयी है कि झारखण्ड राज्य में सेवा देने की गारंटी अधिनियम, 2011 के अन्तर्गत वर्तमान में 331 प्रदायी सेवाएँ राज्य सरकार ने अधिसूचित की है। इसके तहत् सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 के तहत अधिसूचित प्रदायी सेवाओं को ससनय परिदान (Deliver) कराने के प्रावधान किए गए हैं। इन अधिसूचित प्रदायी सेवाओं से संबंधित प्राप्त आवेदन पत्रों को नियत समय-सीमा के अन्दर निष्पादित किया जाना अनिवार्य है। साथ हीं प्रावधानानुसार नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी आवेदन प्राप्त होने पर नियत समय-सीमा में सेवा उपलब्ध करायेंगे या आवेदन अस्वीकृत करेंगे और आवेदन की अस्वीकृति की दशा में कारणों को अभिलिखित कर आवेदक को सूचित करेगा। सेवाओं के ससमय परिदान नहीं किये जाने की स्थिति में प्रथम एवं द्वितीय अपील तथा तथा दण्ड के प्रावधान भी इस अधिनियम में निर्धारित किये गये हैं।
इसके अलावे सेवा देने की गारंटी अधिनियम अन्तर्गत अधिसूचित प्रदायी सेवाओं का निष्पादन ससमय नहीं होने का मामला राज्य सरकार के संज्ञान में आया है। अतः राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि झारखड सेवा देने की गारंटी अधिनियम, 2011 के अन्तर्गत अधिसूचित प्रदायी सेवाओं को नियत समय-सीमा में आवेदक को उपलब्ध कराने हेतु दिनांक 29.12.2020 से झारसेवा अभियान प्रारम्भ किया जाय। इस अभियान के तहत अधिसूचित प्रदायी सेवाओं के लंबित सभी मामलों को 31.01.2021 तक निष्पादित कराते र्हुए Zero Pendency सुनिश्चित किया जाय तथा उक्त अवधि के पश्चार्त Zero Pendency की स्थिति बनाए रखने हेतु सघन अनुश्रवण के माध्यम से समबद्ध निष्पादन सुनिश्चित किया जाय।
साथ हीं बिना औचित्यपूर्ण कारणों से इन मामलों को अनावश्यक लंबित रखने वाले पदाधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई करने का प्रावधान भी झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी (संशोधन) अधिनियम 2020 में किया गया है, जो निम्नवत है परन्तु यह कि यदि प्रशासी विभाग को यह यथेष्ठ प्रतीत होता है कि किसी शिकायत/आरोप के संबंध में शीघ्र जाँच कर कार्रवाई की जानी है तो संबंधित प्रशासी विभाग जैसा उचित समझे संबंधित शिकायत/आरोप की जाँच कर सकेगा। जॉचोपरान्त अथवा विभागीय स्तर पर लंबित मामलों की समीक्षा के क्रम में यह पाये जाने पर कि नाम निर्दिष्ट पदाधिकारी या प्रथम अपीलीय पदाधिकारी इस अधिनियम के अधीन सौंपे गये कर्तव्यों का निर्वहन करने में बिना किसी पर्याप्त एवं युक्तियुक्त कारणों के असफल रहा हो, तो प्रशासी विभाग उसके विरूद्व उस पर लागू सेवा नियमों के अधीन अनुशासनिक कार्रवाई कर सकेगा।