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हेमंत सरकार की मछली पालन सब्सिडी और सहयोग योजनाएं, डोभा और मछलीपालन

हेमंत सरकार की मछली पालन सब्सिडी और सहयोग योजनाएं, डोभा और मछलीपालन
झारखंड अपनी प्राकृतिक संपदा और जल संसाधनों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब मछली पालन के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति कर रहा है। झारखंड की हेमंत सरकार कई योजनाओं के माध्यम से मछली पालन को बढ़ावा दे रही है। इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन, किसानों और मछुआरों की आय में वृद्धि, और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है। साहेबगंज जिले के विजयपुर गाँव के किसान देवला किस्कू जैसे कई किसानों ने इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। इसके साथ ही केंद्र की  प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) से भी मछली पालन हो रहा है। और आज इसका फायदा झारखंड के कई किसान उठा रहे हैं और जीवन चलाने के लिए एक अच्छी रकम कमा ले रहे हैं
तभी तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साहिबगंज के छोटे से मछली व्यापारी देवता किस्कू
की कहानी को री पोस्ट किया है उन्होंने फ्री पोस्ट करते हुए लिखा है कि
आज की सफलता की कहानी झारखण्ड राज्य के साहेबगंज जिले के मयुरकोला पंचायत के विजयपुर गाँव के किसान देवला किस्कू की :-
उनकी जमीन पर वित्तीय वर्ष 2019-2020 में मनरेगा के तहत डोभा निर्माण किया गया था |डोभा निर्माण के बाद उसके पानी का उपयोग वे खेतों की सिंचाई के लिए किया करते थे |
धीरे –धीरे उसने डोभा में मछली पालन करना शुरू किया |मछली पालन कर उन्हें अच्छी खासी आमदनी होने लगी | आज मछली पालन से उन्हें करीब 50 -60 हज़ार की वार्षिक आय हो रही है |

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आईये हम समझते हैं कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मछली पालन को एक उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए कितनी मेहनत की है।
1. झारखंड सरकार केंद्र की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को लागू कर रही है, जो मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।

अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और महिलाओं के लिए तालाब निर्माण, मछली बीज, फिश फीड, और अन्य इनपुट्स पर 60% तक सब्सिडी मिलती है।
सामान्य वर्ग के लिए 40% तक सब्सिडी।

2. मनरेगा के तहत डोभा और तालाब निर्माण
झारखंड सरकार ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत डोभा और तालाब निर्माण को प्रोत्साहित किया है, जैसा कि देवला किस्कू के मामले में देखा गया। ये जलाशय न केवल सिंचाई के लिए उपयोगी हैं, बल्कि मछली पालन के लिए भी एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं।
लाभ:
डोभा निर्माण के लिए 100% लागत मनरेगा के तहत वहन की जाती है, जिससे किसानों को कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता।
डोभा में मछली पालन शुरू करने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा मछली बीज, फीड, और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
साहेबगंज जैसे जिलों में, डोभा निर्माण ने छोटे और सीमांत किसानों को मछली पालन के लिए एक सुलभ मंच प्रदान किया है।
प्रभाव:

मनरेगा के तहत निर्मित डोभा ने ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, देवला किस्कू ने अपने डोभा में मछली पालन शुरू कर 50,000-60,000 रुपये की वार्षिक आय अर्जित की।
3. झारखंड बजट 2025-26 में मछली पालन के लिए प्रावधान
वित्तीय वर्ष 2025-26 के झारखंड बजट में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं:
उत्पादन लक्ष्य: सरकार ने 4.10 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो ग्रामीण और शहरी युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करेगा।
सहकारी संघों के लिए बजट: जिला स्तरीय सहकारी संघों के लिए 24 करोड़ रुपये की हिस्सा पूंजी का प्रावधान किया गया है, जो मछली पालन सहित कृषि आधारित गतिविधियों को समर्थन देगा।
प्रशिक्षण और सहायता: मछली पालन की विभिन्न विधाओं (जैसे बायोफ्लॉक, केज कल्चर, और महाझींगा पालन) में युवाओं को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
4. मछली पालन में तकनीकी और प्रशिक्षण सहायता
झारखंड सरकार और मत्स्य विभाग मछली पालकों को निम्नलिखित तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं:
प्रशिक्षण: मछली पालन की आधुनिक तकनीकों, जैसे बायोफ्लॉक, केज कल्चर, और रंगीन मछली उत्पादन, पर मुफ्त प्रशिक्षण।
मछली बीज और फीड: गुणवत्तापूर्ण मछली बीज और फीड की आपूर्ति।
मृदा और जल विश्लेषण: तालाब स्थलों की मिट्टी और पानी की गुणवत्ता का विश्लेषण।
मछली विकास की निगरानी: मछली के विकास और स्वास्थ्य की नियमित जांच।
5. झारखंड में मछली पालन की प्रगति
झारखंड में मछली पालन ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है:
उत्पादन वृद्धि: राज्य के गठन के बाद मछली उत्पादन 20 गुना बढ़ गया है। वर्ष 2023 में 3.30 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, और 2025-26 के लिए 4.10 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य है।
मछुआरों की संख्या: वर्तमान में 1.50 लाख से अधिक मछुआरे सरकारी योजनाओं से जुड़कर मछली पालन कर रहे हैं।
आर्थिक प्रभाव: मछली पालन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और आय वृद्धि हुई है, जैसा कि देवला किस्कू जैसे किसानों की कहानी से स्पष्ट है।
6. देवला किस्कू की कहानी: एक प्रेरणा
साहेबगंज जिले के विजयपुर गाँव के किसान देवला किस्कू ने मनरेगा के तहत 2019-2020 में निर्मित डोभा का उपयोग पहले खेतों की सिंचाई के लिए किया। बाद में, उन्होंने इसमें मछली पालन शुरू किया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। आज वे मछली पालन से 50,000-60,000 रुपये की वार्षिक आय अर्जित कर रहे हैं। उनकी कहानी दर्शाती है कि सरकारी योजनाओं का सही उपयोग कर छोटे किसान भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

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