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देश के सबसे कमजोर और अक्षम cm Hemant soren : रघुवर दास

रांची। BJP उपाध्यक्ष और पूर्व cm रघुवर दास ने हेमंत सोरेन (hemant soren) सरकार पर जुबानी हमला कि‍या। उन्‍होंने कहा कि देश के सबसे कमजोर और अक्षम मुख्यमंत्री के दो वर्षों के कार्यकाल में एक भी योजना नहीं, जिसका हेमंत सरकार (hemant goverment) ने शिलान्यास एवं उद्घाटन किया हो। पूर्व की बीजेपी की सरकार के कार्यों का उद्घाटन यह सरकार कर रही है। वह प्रदेश कार्यालय में 10 जनवरी को प्रेस से बात कर रहे थे।
माफिया की सरकार

पूर्व सीएम ने कहा कि प्रदेश में जनता की सरकार नहीं, बल्कि परिवार के संरक्षण में सिंडिकेट, माफिया और बिचौलियों की सरकार चल रही है। जंगलों की कटाई, बालू की ढुलाई, खनिज संपदा का दोहन अपने चरम सीमा पर हो रहा है। उच्च न्यायालय की टिप्‍पणी ‘लोग जानवर की तरह जी रहे हैं’ सरकार की स्थिति बताने के लिए काफी है। हेमंत सरकार ने प्रदेश का बेड़ा गर्क कर दिया है। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एक भी फाइल बिना सीएमओ में कमीशन दिए पास नहीं होती। योजना स्वीकृति पर कमीशन, टेंडर फाइनल होने पर कमीशन, योजना आवंटन होने पर कमीशन, और ट्रेजरी बिल पास करने पर कमीशन लगता है। प्रत्येक स्तर पर कमीशन का खेल खेला जा रहा है।

मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक अपरिपक्व

रघुवर दास ने कहा कि पिछली बीजेपी सरकार स्थानीय को नौकरी के प्रावधान के लिए हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू बांग्ला और नौ जनजातीय भाषा शामिल कर नियोजन नीति बनाई थी। एक लाख को नौकरी दी थी। दो वर्षों में 18,068 शिक्षक, 9,162 पुलिसकर्मी समेत 31 हजार सरकारी नियुक्ति और 10 हजार को स्वरोजगार से जोड़ा था। एक लाख सखी मंडल का गठन कर 15 लाख महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा था। इस सरकार ने पहले वर्ष 5 लाख को सरकारी नौकरी का वादा, नौकरी नहीं तो भत्ता देने का वादा किया था। नियुक्ति तो नहीं की, 13 हजार की नौकरी छिनने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में 13 शेड्यूल और 11 नॉन शेड्यूल जिलों में 9 हजार शिक्षकों की बहाली की गई थी। हेमंत सरकार ने हाईकोर्ट में नियोजन नीति को गलत बताया। कोर्ट ने फैसला दिया। फिर हेमंत सरकार ही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कहने लगी। कुल मिलाकर इस सरकार को क्या करना है, यह भी पता नहीं, सरकार टोटली कन्फ्यूज्‍ड है।

सिंडिकेट, माफिया और बिचौलियों की सरकार

पूर्व सीएम ने कहा कि हेमंत सरकार ने ऐसी नियोजन नीति बनाया, जिसपर हाईकोर्ट ने भी टिप्‍पणी की थी। शराब नीति माफियाओं के समर्थन में बनाई गई। साइकिल के लिए हमारी सरकार साढ़े तीन हजार रुपए डीबीटी के माध्यम से दे रही थी। किंतु कमीशन के लिए इस सरकार ने साइकिल फैक्ट्री लगाकर साइकिल देने का वायदा किया। आंगनबाड़ी में रद्दी भोज्य पदार्थ दिए जाने के बाद रद्द किए गए रेडी टू ईट द्वारा कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को लाया गया। यह कार्य सिर्फ कमीशन को बढ़ावा देने के लिए दिया गया। सरकार अपनी पीठ थपथपाने का काम की।

संस्कृति और विरासत से कर रही है खिलवाड़

दास ने कहा कि पूत के पांव पालने में नजर आता है। इस सरकार के बनते ही किये गए वादों को अमलीजामा पहनाने के बजाए अलगाववादी राष्ट्रविरोधी पत्थरगढ़ि‍यों पर लगे आरोप को वापस लिया। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वोट बैंक के लिए भगवान बिरसा मुंडा, सिध्हू कान्हू की संस्कृति विरासत को समाप्त करने में यह सरकार लगी हुई है। हमारी सरकार ने हजारों सरना स्थल, मसना स्थल और धूमकड़िया भवन का निर्माण कराई, जबकि इस सरकार में एक भी पवित्र स्थानों का निर्माण नहीं कराया गया। सीएनटी-एसपीटी का उलंघन कर गांवों में विदेशी धर्म का अड्डा बना दिया गया है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री बताएं कितने भोले-भाले आदिवासियों का धर्मांतरण किया गया। लोभ लालच के दम पर धर्मांतरण हो रहा है। लव जिहाद के नाम पर बांग्लादेशी हमारी आदिवासी बहनों की संपत्ति हड़प जा रहे हैं। सत्ता में बैठे मठाधीशों के कारण आदिवासियों की संख्या घट रही है। विदेशी धर्म मानने वाले सरना धर्म के लोगों को धर्मान्तरित कर रहे हैं। 4 फीसदी उर्दू बोलने वालों के लिए उर्दू को प्राथमिकता दी जा रही है।

सर्वाधिक आदिवासियों पर हो रहे हैं हमले

राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष ने कहा कि रूपा तिर्की हो या सिदू कान्‍हो के वंशज, रामेश्वर मुर्मू की हत्या हुई। रूपा तिर्की मामले में जनांदोलन और कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया गया। शहीद के वंशज की हत्या पर सीएम ने सीबीआई जांच का आश्वासन देकर भी इसकी अनुशंसा नहीं की। शहीदों के परिवार को भी ठगने का काम किया। सरकार बनते ही अलगाववादियों के इशारे पर आदिवासी समाज के 7 लोगों का नरसंहार हुआ। लोहरदग्गा में दंगा हुआ। 10 मॉब लॉन्चिंग की घटना में 6 हत्या और 13 घायल हुए। भगवान बिरसा मुंडा के संस्कृति को नष्ट करने वालों ने दलित नौजवान संजू प्रधान की दिनदहाड़े हत्या कर दी। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। मामले में सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि जरूरत पड़ेगा तो कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

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