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दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का ऐतिहासिक प्रस्ताव : झारखंड विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित

दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का ऐतिहासिक प्रस्ताव : झारखंड विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित

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रांची, 28 अगस्त : झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के प्रणेता ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान करने की सिफारिश करते हुए केंद्र सरकार को भेजने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। यह प्रस्ताव परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने सदन में पेश किया, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने एकजुट होकर समर्थन जताया। यदि यह सम्मान मिलता है, तो शिबू सोरेन देश के पहले आदिवासी नेता होंगे जिन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त होगा।

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झारखंड विधानसभा में गुरुवार को हुई कार्यवाही के दौरान मंत्री दीपक बिरुआ ने शिबू सोरेन के अतुलनीय योगदान का जिक्र करते हुए प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक के रूप में आदिवासी समाज के उत्थान, नशाबंदी, महाजनी प्रथा के खिलाफ संघर्ष और अलग झारखंड राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बिरुआ ने सदन से अपील की कि यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर केंद्र को भेजा जाए, ताकि उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिले।

सदन में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी इस प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने सुझाव दिया कि शिबू सोरेन के साथ-साथ झारखंड आंदोलन के अन्य प्रमुख नेताओं जैसे जयपाल सिंह मुंडा और विनोद बिहारी महतो को भी भारत रत्न के लिए नामित किया जाए। मरांडी ने कहा, “शिबू सोरेन का योगदान केवल झारखंड तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश के आदिवासी समाज के लिए प्रेरणादायक है।” इसी तरह, विधायक राधाकृष्ण किशोर ने जोर देकर कहा कि अब तक किसी आदिवासी नेता को यह सम्मान नहीं मिला है, इसलिए ‘गुरुजी’ को यह पुरस्कार मिलना न्यायोचित होगा।

प्रस्ताव पारित होने के समय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी सदन में मौजूद थीं। हेमंत सोरेन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “यह न केवल सदन की भावना है, बल्कि झारखंड की जनता का भी भाव है। दिशोम गुरु ने अपना पूरा जीवन आदिवासी हितों और राज्य निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। हम आशा करते हैं कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करेगी।” सत्र के समापन पर यह प्रस्ताव एक प्रतीक के रूप में दर्ज हो गया, जो राज्य की राजनीतिक एकजुटता को दर्शाता है।

शिबू सोरेन का निधन 4 अगस्त 2025 को दिल्ली में 81 वर्ष की आयु में हुआ था। वे झामुमो के संरक्षक और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके थे। उनके नेतृत्व में 1972 में झामुमो की स्थापना हुई और उन्होंने जल, जंगल, जमीन के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया। सत्र के प्रारंभिक दिनों से ही विभिन्न दलों के विधायकों ने उनकी जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने और उनके नाम पर आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित करने की मांग उठाई थी। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव, आजसू के निर्मल महतो, जदयू के सरयू राय जैसे नेताओं ने भी भारत रत्न की मांग का समर्थन किया था।

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