डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का भारत पर कितना होगा असर, पढ़िए हमारी विशेष रिपोर्ट
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति, जिसे “टैरिफ बम” कहा जा रहा है, का भारत पर असर कई कारकों पर निर्भर करता है। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत विभिन्न देशों से आयात पर ऊंचे टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसमें भारत भी शामिल है। अप्रैल 2025 तक की जानकारी के आधार पर, भारत पर 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया है, जो अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों में से एक उच्च दर है। आइए, इसके प्रभाव को विस्तार से समझें:
भारत पर प्रभाव के प्रमुख पहलू
निर्यात पर असर:
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 78 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जो कुल निर्यात का 18% है।
टैरिफ बढ़ने से भारतीय उत्पादों की कीमत अमेरिकी बाजार में बढ़ेगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है। विशेष रूप से फार्मा, आभूषण (हीरे और जेवर), ऑटोमोबाइल पार्ट्स, और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।
अनुमान के मुताबिक, भारत को 3.1 से 4 बिलियन डॉलर का निर्यात नुकसान हो सकता है, जो जीडीपी के 0.1% के बराबर है। हालांकि, यह प्रभाव सीमित माना जा रहा है क्योंकि भारत का निर्यात विविधीकृत है।
प्रमुख प्रभावित क्षेत्र:
फार्मास्यूटिकल्स: भारत अमेरिका को 12.7 बिलियन डॉलर की दवाएं निर्यात करता है। टैरिफ बढ़ने से दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका बोझ अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, लेकिन भारतीय कंपनियों का लाभ मार्जिन कम हो सकता है।
आभूषण और रत्न: गुजरात (सूरत) से हीरे और महाराष्ट्र-तमिलनाडु से जेवरात का निर्यात प्रभावित होगा। अमेरिका में इनकी मांग घट सकती है।
ऑटो और स्टील: स्टील पर 25% टैरिफ पहले से लागू है, और ऑटो आयात पर भी 25% टैरिफ घोषित हुआ है, जो टाटा मोटर्स जैसे निर्माताओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
आर्थिक प्रभाव:
टैरिफ से भारत के कुछ राज्यों (गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक) पर ज्यादा असर पड़ेगा, जहां से अमेरिका को सबसे अधिक निर्यात होता है।
रोजगार और उत्पादन में कमी की आशंका है, खासकर छोटे और मझोले उद्यमों में।
रुपये की विनिमय दर पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे आयात (जैसे तेल) महंगा हो सकता है।
सकारात्मक पहलू:
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस स्थिति का लाभ उठा सकता है। अगर अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध बढ़ता है, तो भारत वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता बन सकता है।
भारत सरकार रक्षा सौदों (जैसे बोइंग से विमान खरीद) और व्यापार वार्ताओं के जरिए टैरिफ का असर कम करने की कोशिश कर रही है।
ट्रंप ने भी संकेत दिया है कि भारत के साथ “पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते” पर बातचीत चल रही है, जिससे टैरिफ 26% से कम हो सकता है।
भारत की जवाबी रणनीति
भारत अमेरिकी उत्पादों (जैसे शराब, बादाम, सोयाबीन) पर पहले से ऊंचे टैरिफ लगाता है (कभी-कभी 100-150% तक)। जवाबी टैरिफ बढ़ाने की संभावना है, लेकिन इससे व्यापार युद्ध और गहरा सकता है।
वैकल्पिक बाजारों (यूरोप, मध्य-पूर्व) की तलाश और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना भी रणनीति का हिस्सा है।
रक्षा और तकनीकी सहयोग बढ़ाकर अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश हो रही है।
जाहिर है की ट्रंप का “टैरिफ बम” भारत के लिए चुनौती और अवसर दोनों है। अल्पकालिक नुकसान (3-4 बिलियन डॉलर) संभव है, लेकिन दीर्घकाल में भारत अपनी रणनीतिक स्थिति और विविध अर्थव्यवस्था के दम पर इसका जवाब दे सकता है। टैरिफ बम का प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है, बशर्ते भारत अमेरिका के साथ कूटनीतिक और व्यापारिक संतुलन बनाए रखे। विशेषज्ञों के अनुसार, यह “टैरिफ खेल” भारत के लिए नुकसान से ज्यादा अवसर ला सकता है, खासकर अगर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका बढ़े।