Jharkhand News :- माओवादी मिथिलेश ने किया सरेंडर, कमजोर पड़ रहा है नक्सल संगठन

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Drishti  Now  Ranchi

झारखंड में नक्सल अभियान को सफलता मिल रही है। शीर्ष माओवादी मिथिलेश दा उर्फ दुर्योंधन महतो उर्फ अवधेश के आत्मसमर्पण के बाद माओवादी कमजोर हुए हैं। मिथिलेश दा उर्फ अकेले नहीं ते उकी पत्नी ननकी कोड़ा उर्फ सुजाता ने भी साथ में सरेंडर किया। इस आत्मसमर्पण ने नक्सलियों को बैंकफूट पर ला दिया है। इसके बाद नक्सली कमजोर हुए हैं।
माओवादी मिथिलेश की जगह इसने संभाली जिम्मेदारी
इस बड़ी चोट के बाद भी नक्सली लड़ने को तैयार हैं, 25 लाख के इनामी माओवादी निर्भय उर्फ बिरसेन उर्फ रघुनाथ हेंब्रम को उतरी छोटानागपुर जोनल कमेटी के अंतगर्त जिलगा सबजोन का जिम्मा दिया गया है। माओवदी निर्भय उर्फ बिरसेन संगठन में सैक का सदस्य है। वह गिरीडीह के डुमरी थाना क्षेत्र के जरीडीह गांव के रहने वाला है।
सरेंडर के पीछे थी कई वजहें
माओवादी मिथिलेश दा के आत्मसमर्पण के पीछे कई बड़ी वजहें बताई जा रही है। बताया जा रहा है मिथिलेश दा कोरोना और मलेरिया की बीमारी से पीड़ित था। संगठन को सूचित कर उचित इलाज के लिए नक्सली ने कई बार अपील की लेकिन शीर्ष संगठन ने ध्यान नहीं दिया। अपनी सेहत और संगठन के व्यवहार से नाराज गोर माओवादी मिथिलेश दा ने आत्मसमर्पण का फैसला लिया। बढ़ती उम्र और परिवारिक के दबाव ने भी नक्सली को सरेंडर करने पर मजबूर किया।
माओवादी मिथिलेश को संगठन ने किया गद्दार घोषित
इस सरेंडर ने नक्सलियों को कमजोर किया है। सूत्रों की मानें तो पत्नी संग पुलिस के समक्ष सरेंडर के बाद जिलगा जोन में संगठन बैकफुट में आ गया है। इससे पहले माओवादी कारू यादव की मुंबई में गिरफ्तारी से माओवादी मिथिलेश दा उर्फ दुर्योंधन महतो पूरी तरह से टूट चुका था। जिलगा सबजोन में अब मात्र 22 हथियारबंद माओवादी बचे है। जिसमें सात महिला माओवादी शामिल है । 15 जनवरी की रात ही शीर्ष माओवादी मिथिलेश उर्फ दुर्योंधन महतो संगठन का लगभग 53 लाख नगद और 83 हजार का मोबाइल सहित डिजिटल उपकरण के साथ फरार हो गया है। फरार होने के बाद संगठन ने उसे निलबिंत कर गद्दार घोषित कर दिया है।

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