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जस्टिस बी.आर. गवई आज लेंगे भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। जस्टिस गवई मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो चुका है।

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जस्टिस गवई का यह नियुक्ति ऐतिहासिक है, क्योंकि वे जस्टिस के.जी. बालकृष्णन के बाद भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। इसके साथ ही, वे पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगे। उनकी नियुक्ति की सिफारिश जस्टिस संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल 2025 को की थी, जिसे राष्ट्रपति ने 29 अप्रैल 2025 को मंजूरी दी थी।

जस्टिस गवई का करियर और योगदान

24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की थी। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता स्थापित की। 2003 में वे बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। मई 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया।

जस्टिस गवई कई ऐतिहासिक फैसलों का रहे हैं हिस्सा 

जस्टिस गवई कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक घोषित करने और 2016 के नोटबंदी के फैसले को बरकरार रखने वाले संविधान पीठों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने संपत्ति विध्वंस के लिए दिशानिर्देश जारी किए और वन, वन्यजीव, और पेड़ संरक्षण से संबंधित मामलों की सुनवाई की।

संक्षिप्त कार्यकाल और चुनौतियां

जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक होगा, जब वे 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे। उनके छह महीने से अधिक के कार्यकाल में न्यायपालिका के समक्ष कई महत्वपूर्ण मामले और चुनौतियां होंगी। उनकी नियुक्ति को सामाजिक समावेशिता और विविधता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।

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