हेमंत सोरेन के राज्य में आदिवासी की गुहार जमीन माफिया( land mafia) ने लूट ली जमीन ,पुलिस मूकदर्शक !
land mafia
आपने पुरानी फिल्मे तो जरूर देखी होंगी जिसमे गांव का लाला भोले भाले ग्रामीणों को कहता है की आपका अगूंठा यहाँ लगा हुआ है और तुमने यह जमीन बेच दी है। और इसी बीच पुलिस लाला के दबाब में मूकदर्शक बनी रहती है। ठीक ऐसी ही एक कहानी आजादी के 75 साल बाद भी झारखण्ड की राजधानी रांची से महज 30 किलोमीटर दूर पिठौरिया के एक गांव में देखने को मिल रहा है। जहाँ गांव का दबंग जमीन माफिया एक गरीब भोले भाले आदिवासी की जमन हड़पने की कोशिश कर रहा है और आदिवासी की जमीन को बचाने वाला कोई नहीं उसने पुलिस को आवेदन दिया की मेरी जमीन बचा लो मई गरीब आदिवासी हूँ लेकिन शायद पुलिस को इस गरीब के आवेदन में कोई भी दिलचस्पी नहीं।
आदिवासी अपने जमीन के पेपर को लेकर दर -दर भटकने को मजबूर हो गया है। जमीन माफियाओ की ताकत इतनी बढ़ी हुई है की उसने आदिवासी के मिट्टी के दिवार को एक रात में गिरा दिया और उस पर बाउंड्री करनी शुरू कर दी है। पीड़ित के मुताबिक जमीन माफिया मुस्लिम है और उसका नाम मजीद है। कानून के मुताबिक आदिवासी की जमीन कोई गैर आदिवासी नहीं खरीद सकता लेकिन यहाँ तो हद हो गयी है जब आदिवासी ने जमीन बेचा ही नहीं तो भी उसकी जमीन को माफिया ने कैसे खरीद ली। पीड़ित के मुताबिक उसका फर्जी अंगूठा लगाया गया उसकी फर्जी साइन की गया और एक एग्रीमेंट बनाया गया। और फिर जमीन हड़प लिया गया। आदिवासी पुलिस के पास गया और आवेदन दिया उसके आवेदन की पूरी मजमून इस प्रकार है
मै संजय मुंडा पिठौरिया रांची का निवासी हूँ। आगे कहना है कि मेरी खतियानी जमीन मौजा- कोकदोरो में है। जिसका खाता नंबर प्लॉट नंबर 226 रकबा 94 डिसमिल थाना नंबर 27 है। जो कि खतियान में दुखु मुण्डा के नाम से कायमी खाता दर्ज है। उक्त जमीन में से मेरे पिताजी को हिस्से में साढ़े तेईस डिसमील जमीन बंटवारे में प्राप्त हुआ है। मेरे पिताजी के मृत्यु के बाद हमलोग दो भाई जमीन को आपस में बांट लिये। जिसमें हम दोनों भाईयों को जमीन प्राप्त हुआ।
अब मजीद अन्सारी पुरे दल बल के साथ, अपने सहयोगियों के साथ और अपराधिक प्रवृति को लेकर मेरे हिस्से की जमीन की घेराबंदी कर रहे है। जिसके कारण माहौल अशांत बना हुआ है। चूंकि मैं आदिवासी हूँ और मैं अकेला हूँ इसलिए में अवैध कब्जा को रोक नहीं सकता है। मैं अगर यहाँ पर काम को रोकने के लिए, जाऊंगा तो दे लोग मुझे जान से मार देंगे। इसलिए में आपके शरण में आया है। महाश्य आपको बताना चाहता हूँ कि मजीद जमीन कारोबारी है और जमीन को हडपने के लिए दो लोगो को आपस में लडवाकर जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। ये इनका पुराना इतिहास रहा है। चूंकि वो कोकदोरो गांव का सदर भी है। और वो जानते हैं कि फ़ैसला के लिए कमिटी में ही आवेदन आएगा। और फिर जमीन पर विवाद फ़ैसला भी खुद ही करेंगे .इसलिए वो विवाद कर जमीन को हडपने का काम करते हैं।