पीएम मोदी ने ध्यानचंद को याद किया और कहा कि 41 साल बाद हॉकी में जान आई है।
मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने ध्यानचंद को याद किया और कहा कि 41 साल बाद हॉकी में जान आई है। पीएम मोदी ने कहा कि हम सबको पता है कि आज मेजर ध्यानचंद जी की जन्म जयंती है। और हमारा देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता भी है। क्योंकि दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था।
पीएम मोदी ने कहा कि कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला, चार दशक के बाद मिला।
पीएम मोदी ने कहा कि आज का युवा मन बने बनाए रास्तों पर चलना नहीं चाहता है। वो नए रास्ते बनाना चाहता है। अनजान जगह पर कदम रखना चाहता है। मंजिल भी नयी, लक्ष्य भी नए, राह भी नयी और चाह भी नयी, अरे एक बार मन में ठान लेता हैं न युवा, जी-जान से जुट जाता है। दिन-रात मेहनत कर रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि कल जन्माष्टमी का महापर्व भी है। जन्माष्टमी का ये पर्व यानी, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व। हम भगवान के सब स्वरूपों से परिचित हैं, नटखट कन्हैया से ले करके विराट रूप धारण करने वाले कृष्ण तक, शास्त्र सामर्थ्य से ले करके शस्त्र सामर्थ्य वाले कृष्ण तक।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है। संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरुकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं।
पीएम मोदी ने कहा कि अगले कुछ दिनों में ही ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी आने वाली है। भगवान विश्वकर्मा को हमारे यहां विश्व की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में ये भी कहा गया है कि विश्वस्य कृते यस्य कर्मव्यापारः सः विश्वकर्मा। अर्थात, जो सृष्टि और निर्माण से जुड़े सभी कर्म करता है वह विश्वकर्मा है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमें हुनर को सम्मान देना होगा,