नयी शराब निति (New liquor Policy) से 188 करोड़ की कमाई 2017 की शराब निति से ये शराब निति बेहतर : विनय चौबे
मुकेश कुमार
राज्य की नयी शराब निति ( New liquor Policy) को लेकर आम लोगो में भी तरह तरह की चर्चाये है हालत यह है की बीयर और पॉपुलर शराब की किल्लत देखी जा रही है. शराब निति को लेकर कोर्ट में PIL भी हुआ लेकिन सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। झारखण्ड सरकार के अधिकारियो की माने तो नयी शराब नीति के तहत 188 करोड़ की कमायी हुई है. जिसमे 188 करोड़ में से 183 करोड़ सरकार की ट्रेजरी में जमा की जी चुकी है. शेष राशि ज्लद ही सरकार के खाते में डाल दी जाएगी. वैसे आज नयी शराब निति को लेकर खुद विनय चौबे मीडिया के सामने आये और पूरी निति को विस्तार से समझाया।
2017 की शराब निति से यह निति बेहतर
विनय चौबे ने प्रेस से बात करते हुए सबसे पहले इस बात का जिक्र किया की पहले भी झारखंड में शराब नीति को लेकर दो बार प्रयोग हो चुके हैं. लेकिन राजस्व कमायी के मामले में नयी शराब नीति काफी प्रभावी है. उन्होंने बताया कि पिछली शराब नीति 2017 में बदली गयी है. मार्च 2017 ये ये शराब नीति प्रभावी थी. उस महीने सिर्फ 23 करोड़ रुपए की कमायी विभाग को हुई थी. वहीं उस शराब नीति को लेकर काफी अफरा-तफरी का भी माहौल हो गया था. शराब दुकानों में पुलिस लगानी पड़ी थी. वहीं एक बार फिर से जब 2019 में शराब नीति में बदलाव हुआ तो ये अप्रैल महीने से लागू हुई थी. उस महीने की बात करें तो विभाग को सिर्फ 152 करोड़ की कमायी हुई थी. वहीं मार्च 2022 की बात करें तो सिर्फ 156 करोड़ और अप्रैल में 109 करोड़ की कमायी हुई थी. लेकिन मई महीने में नयी शराब नीति के तहत 188 करोड़ की कमायी हुई है. जो करीब 36 करोड़ ज्यादा है. चौबे ने कहा कि 188 करोड़ में से 183 करोड़ सरकार की ट्रेजरी में जमा की जी चुकी है. शेष राशि ज्लद ही सरकार के खाते में डाल दी जाएगी.
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सचिव विनय चौबे ने बताया कि इस बार शराब नीति में राजस्व कमायी पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है. इससे पहले की शराब नीतियों में सेल पर सरकार को राजस्व मिलता था. लेकिन इस नीति के तहत डिमांड पर ही सरकार को राजस्व मिलता है. इसी वजह से शराब दुकानों की स्थिति शराब रहने के बावजूद विभाग को ज्यादा कमायी हुई है. कहा कि अभी फिलहाल पूरे झारखंड में 1434 शराब की दुकानें राज्य भर में खोल दी गयी है. और भी दुकानों को जल्दी ही खोला जाएगा.
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उत्पाद सिचव विनय चौबे ने कहा कि इस बार की शराब नीति काफी अच्छे सिस्टम के तहत बनी है. नीति को जमीन पर उतारना काफी चैलेंजिंग था. लेकिन उत्पाद विभाग समेत तमाम साथ में काम करने वाली एजेंसियों के बदौलत अब यह नीति कारगर रूप से चल रही है. इस नीति में इस बात का ख्याल रखा गया है कि किसी के हाथ में शराब कारोबार का एकाधिकार ना थम जाए. होल सेल का काम किसी और कंपनी को तो ट्रांसपोर्टिंग काम दूसरी कंपनी को. मैन पावर की सप्लाई किसी और कंपनी को तो कैश कलेक्शन का काम किसी और कंपनी के हाथों में है. तो सुरक्षा गार्डों का काम किसी और को दिया गया है. ऐसे में शराब कारोबार किसी पर किसी एक का अधिकार नहीं हो पाएगा. इन सभी एजेंसियों को ऑनलाइन टेंडर के तहत बहाल किया गया है.