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रूस के रक्षा मंत्री ने RIC को पुनर्जनन की वकालत की: भारत, रूस और चीन के बीच त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा

रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय प्रारूप को फिर से सक्रिय करने की वकालत की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए RIC जैसे मंच की अहम भूमिका हो सकती है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर हाल के वर्षों में तनाव देखा गया है।

शोइगु ने कहा, “RIC त्रिपक्षीय मंच न केवल तीनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत कर सकता है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच साबित हो सकता है।” उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि रूस, भारत और चीन के बीच मजबूत संबंध नाटो और अन्य पश्चिमी गठबंधनों के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं।

RIC की स्थापना 1990 के दशक के अंत में रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर हुई थी। इसका उद्देश्य तीनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद को बढ़ावा देना और वैश्विक मंचों पर सहयोग को मजबूत करना था। हालांकि, 2020 में भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद इस मंच की गतिविधियां ठप हो गई थीं।

शोइगु ने नाटो पर भारत को चीन के खिलाफ उकसाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “नाटो और उसके सहयोगी देश भारत को अपनी रणनीति में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकता है। RIC का पुनर्जनन इस तरह के उकसावे को संतुलित करने में मदद करेगा।”

रूस के इस प्रस्ताव पर भारत और चीन की प्रतिक्रिया का इंतजार है। यदि यह पहल सफल होती है, तो वैश्विक भू-राजनीति में एक नया समीकरण देखने को मिल सकता है।

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