सरयू राय ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र.
Team Drishti.
रांची : राज्य के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने शनिवार को को मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि सीसीएल के रजरप्पा कोल परियोजना पर धोवित (वाश कोल) कोयला के लिये रॉयल्टी मद में झारखंड सरकार का करीब 650 करोड़ रुपये का बकाया काफी दिनों से चला आ रहा है। सीसीएल द्वारा बकाया राशि का भुगतान नहीं करने एवं धोवित कोयला पर स्वामिस्व का भुगतान नहीं करने के कारण सरकार द्वारा 2.85 गुणा अर्थात लगभग तीन गुणा अधिक स्वामिस्व के वसूली करने के बाद परिवहन चालान परमिट निर्गत करने का आदेश दिया गया था।
भारी बकाया हो जाने के कारण राज्य सरकार के खान विभाग ने रजरप्पा प्रोजेक्ट से उत्खनित कोयला के परिवहन के लिये माइनिंग चालान पर रोक लगा दिया था। पिछली सरकार में सीसीएल ने काफी प्रयास किया कि इस प्रोजेक्ट से डिस्पैच के लिये परिवहन माइनिंग चालान सरकार दे दे। कई बार फाईल नीचे से उपर गई। अधीनस्थ अधिकारियों को चालान देने के लिये मौखिक आदेश हुये। लेकिन संचिका पर आदेश देने की हिम्मत खान सचिव या खान मंत्री को नहीं हुई। नतीजतन माइनिंग चालान नहीं मिलने के कारण डिस्पैच बंद हो गया। लेकिन वर्तमान में उक्त बकाया राशि का भुगतान किये बिना खान विभाग के जिम्स पोर्टल पर परमिट माइनिंग चालान देने का निर्देश दिया गया है। इस आधार पर सीसीएल अधिकारियों ने उक्त परियोजना से कोयले का डिस्पैच शुरू कर दिया है। रॉयल्टी का बकाया जस का तस है। जहां तक उनकी जानकारी है सक्षम प्राधिकार द्वारा संचिका पर इस आशय का कोई आदेश नहीं दिया गया है। इसके बावजूद किसी के आदेश से या स्वयं की बुद्धिमता से रामगढ़ जिला के खान पदाधिकारी ने वहाँ से कोयला के परिवहन के लिये माइनिंग चालान जारी कर दिया है, जो नियमानुकूल नहीं है।
एक ओर राज्य सरकार कोल कंपनियों से राज्य का बकाया वसूलने के लिये केन्द्र सरकार के उपर दबाव बनाने के निर्णय पर अमल कर रही है तो दूसरी ओर राज्य सरकार के खान विभाग ने बकाया वसूल किये बिना रजरप्पा प्रोजेक्ट से कोयला के डिस्पैच का लंबे समय से बंद परमिट माइनिंग चालान सक्षम प्राधिकार की अनुमति के बगैर चालू कर दिया है। उन्होंने कहा है कि आप सहमत होंगे कि निर्णयों का यह विरोधाभास राज्य के वित्तीय हित में नहीं है। उन्होंने अनुरोध किया है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में राज्य सरकार के खान सचिव, खान निदेशक और रामगढ़ जिला के खान पदाधिकारी से स्पष्टीकरण पूछकर आवश्यक कारवाई करें।