जस्टिस वर्मा के घर जले हुए नोटो का वीडियो जारी सुप्रीम कोर्ट ने किया जारी देखे वीडियो
दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर नकदी से जुड़े विवाद ने देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब उनके लुटियंस दिल्ली स्थित बंगले में आग लगने की घटना हुई। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली में मौजूद नहीं थे और उनके परिवार के सदस्यों ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया था। आग बुझाने के बाद, दमकल कर्मियों ने स्टोर रूम में जली हुई हालत में नकदी की बोरियां देखीं, जिसके बाद यह मामला तेजी से अधिकारियों के संज्ञान में आया।
शनिवार की देर रात, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पारदर्शिता बरतते हुए एक अभूतपूर्व कदम उठाया। शीर्ष कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय द्वारा तैयार की गई 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट, साथ ही घटना से संबंधित तस्वीरें और वीडियो, अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए।
जांच रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का जवाब
मीडिया रिपोर्ट्स के जस्टिस वर्मा ने मामले में बताया की बंगले के स्टोर रूम में लगी थी, जो मुख्य आवास से अलग और स्टाफ क्वार्टर्स के पास स्थित है। इस कमरे में आमतौर पर पुराना फर्नीचर, बर्तन, कालीन, बगीचे के औजार और अन्य सामान रखा जाता था। यह कमरा खुला रहता था और इसमें कर्मचारियों, माली और अन्य लोगों की आवाजाही रहती थी।
उन्होंने आरोपों का जोरदार खंडन किया है। उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी उस स्टोर रूम में कोई नकदी रखी थी। उनका दावा है कि यह कमरा उनके निजी इस्तेमाल का नहीं था और यह बंगले में आने-जाने वालों के लिए सुलभ था। जस्टिस वर्मा ने इसे “उनके खिलाफ साजिश” करार देते हुए कहा कि नकदी उनके पास से बरामद होने का दावा पूरी तरह आधारहीन है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि घटना के समय वह अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश में थे और उनकी बेटी व बुजुर्ग मां ही घर पर मौजूद थीं। वे 15 मार्च की शाम को भोपाल से दिल्ली लौटे थे।
सुप्रीम कोर्ट का कदम और आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले को गंभीरता से लिया। 20 मार्च को कोलेजियम की बैठक में जस्टिस वर्मा को उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया।
सीजेआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से जस्टिस वर्मा से तीन सवालों के जवाब मांगे थे:
- उनके परिसर में नकदी की मौजूदगी को वे कैसे समझाते हैं?
- उस नकदी का स्रोत क्या था?
- 15 मार्च की सुबह जली हुई नकदी को किसने हटाया?
जस्टिस वर्मा ने इन सवालों के जवाब में अपनी बेगुनाही दोहराई और कहा कि उन्हें नकदी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी शिकायत की कि मीडिया ने बिना जांच के उन्हें बदनाम करने की कोशिश की।