सड़क से सदन तक खतियान की गूंज (Recruitment strategies)

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विजय दत्त पिंटू

1932 आधारित ही होगी स्थानीय नीति मगर 1964 और 1974 का भी सरकार कर रही अध्ययन : आलमगीर आलम

रांची : आज सोमवार को विभिन्न आदिवासी मूलवासी संगठनों ने हरमू मैदान में एकत्रित हो विधानसभा घेराव के लिए कूच किया, जिन्हें विधानसभा परिसर से पूर्व ही प्रशासन की मुस्तैदी से रोक दिया गया। इस रैली का नेतृत्व पूर्व मंत्री सह आजसू के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा,पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव और पूर्व विधायक अमित महतो ने किया।

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विधानसभा में झारखंडी भाषा में बात करें विधायक : सूर्य सिंह बेसरा
बिहार सरकार में पूर्व मंत्री रहे सूर्य सिंह बेसरा ने कहां झारखंड बनने के पश्चात 5 विधानसभा चुनाव हुए एवं 11 बार मुख्यमंत्री बदले किंतु, आज भी झारखंड में हिंदी भाषा में ही सभी विधायक बात करते हैं जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने संविधान की पांचवी अनुसूची के धारा 210 का उल्लेख करते हुए कहा, विधानसभा में सभी विधायक को क्षेत्रीय एवं राजकीय भाषा में बात करने का अधिकार है, और झारखंड में भी जिन 6 जनजातीय एवं चार क्षेत्रीय भाषा को मान्यता दी गई है उन्हीं में विधायकों को अपनी बात कहनी चाहिए। श्री बेसरा ने अपनी आगामी रणनीति बताते हुए कहा अगर 25 तारीख तक सरकार स्थानीय एवं नियोजन नीति नहीं स्पष्ट करती तो सभी विधायकों को उनके क्षेत्र में गांव की सीमा के अंदर प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा एवं असम की तर्ज पर आक्रामक आंदोलन किया जाएगा।

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जो खतियानी को रोकेगा हम उसको ठोकेंगे : अमित महतो
पूर्व विधायक अमित महतो ने खतियान आधारित नियोजन नीति लाने की बात करते हुए कहा कि विगत 20 से 30 सालों से झारखंड में रह रहे लोग खुद को स्थानीय एवं झारखंडी कहने लगे हैं,जो बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जाएगा। खतियान आधारित स्थानीय नीति का जो भी विरोध करेगा हम उससे भगत सिंह एवं चंद्रशेखर की तर्ज पर ठोकने का काम करेंगे।

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Img 20220314 195321बाहरियों ने पहले पीठ में चुरा गोपा अब पेट में छुरा चला रहे : गीताश्री उरांव
राज्य की पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहां बाहरियों ने हमेशा विश्वासघात किया पहले राज्य अलग करने की मांग पर पीठ में छुरा घूमने का काम करते थे, अलग राज्य बनने के बाद सारे नौकरियों को लूट कर अब पेट में छुरा चला रहे जिसका हर स्तर और हर तरीके से विरोध किया जाएगा। श्रीमती उरांव ने कहा स्थानीय नीति खतियान आधारित ही हो उसके अलावे अन्य नीति बिल्कुल अस्वीकार्य है। अन्य किसी भी तरह की दगाबाजी कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

1932 का खतियान के साथ ही 1964 और 1974 के खतियान का भी अध्ययन कर रही सरकार : आलमगीर आलम

आज विधानसभा में भी विधायक सरयू राय एवं सुदेश महतो ने सरकार की स्थानीय नीति के संबंध में सवाल उठाए सरयू राय ने पूछा क्या सरकार 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय एवं नियोजन नीति बनाने जा रही जिसका गोलमोल जवाब देते हुए सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने मुख्यमंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा 1932 प्राथमिकता में है मगर उससे पहले 1964 और 1974 के खतियान का भी अध्ययन किया जा रहा उसके बाद स्थानीय नीति स्पष्ट की जाएगी। जिस पर रोष प्रकट करते हुए सुदेश महतो ने कहा सरकार 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति बनाने के मूड में नहीं दिख रही।

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आज इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में एकत्रित हो आदिवासी मूलवासी लोग हाथों में सरकार विरोधी नारे लिखे तख्तियां लेकर प्रदर्शन करते नजर आए। बीच-बीच में सरकार के विरोध में अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया गया, जिसे उन्हीं में से कुछ लोगों ने शांत कराया दिनभर सरकार विरोधी नारे लगते रहे।

 

 

 

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