बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शानदार मिसाल ,हरे राम पांडे, अनाथ बच्चियों के लिए हैं एक नया सवेरा, झारखंड के 70 वर्षीय हरे राम पांडे 60 अनाथ बच्चियों को दे रहे है नया जीवन ।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शानदार मिसाल ,हरे राम पांडे, अनाथ बच्चियों के लिए हैं एक नया सवेरा, झारखंड के 70 वर्षीय हरे राम पांडे 60 अनाथ बच्चियों को दे रहे है नया जीवन ।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!देवघर, झारखंड
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सफल और शानदार झलक झारखंड के देवघर में देखी जा सकती है हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसकी जानकारी आपको पूरी रिपोर्ट में दिख जाएगी । जो हम लिखेंगे शायद हमारी कलम भी उनके सेवा भाव के सामने कमजोर पड़ जाए।
ये कहानी है झारखंड के देवघर में 70 वर्षीय हरे राम पांडे की । पांडेय एक ऐसे नायक हैं, जिन्होंने निस्वार्थ सेवा और समर्पण से 60 अनाथ बच्चियों के जीवन को रोशन किया है। उनके द्वारा संचालित **नारायण सेवा आश्रम** न केवल इन बच्चियों के लिए एक आश्रय स्थल है, बल्कि उनके सपनों को पंख देने का मंच भी है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को साकार करते हुए, पांडे जी ने इन बच्चियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता का अवसर प्रदान किया है।

एक प्रेरक शुरुआत
साल 2004 में, जब हरे राम पांडे को जंगल में एक साथ दो नवजात बच्ची मिली, तो उनके जीवन का उद्देश्य ही बदल गया। उस दिन से शुरू हुई उनकी यात्रा आज 60 से अधिक बच्चियों तक पहुंच चुकी है। अपनी पत्नी भवानी देवी के साथ, उन्होंने अपनी जमीन तक बेचकर इन बच्चियों की शिक्षा और देखभाल के लिए संसाधन जुटाए। नारायण सेवा आश्रम आज इन बच्चियों के लिए एक घर है, जहाँ वे न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने की दिशा में अग्रसर हैं।

बेटियों की उड़ान
आश्रम की बच्चियाँ शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। **खुशी कुमारी**, जो बचपन से आश्रम में पली-बढ़ी, ने 12वीं कक्षा में शानदार अंक प्राप्त किए और अब मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही है। वहीं, **तापसी** अपनी पढ़ाई में निरंतर प्रगति कर रही है और अन्य बच्चियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। ये कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि प्यार, देखभाल और शिक्षा किसी भी बच्चे के जीवन को बदल सकती है।

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का जीवंत उदाहरण
हरे राम पांडे का यह प्रयास भारत सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का सशक्त प्रतीक है। उनका मानना है कि हर बेटी को शिक्षा और सम्मान का अधिकार है। आश्रम में बच्चियों को न केवल स्कूली शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए कौशल विकास और नैतिक मूल्यों का भी पाठ पढ़ाया जाता है।

आप भी बनें सहयोगी
नारायण सेवा आश्रम और हरे राम पांडे का यह मिशन आप जैसे सहयोगियों के बिना अधूरा है। आप दान, स्वयंसेवा या जागरूकता फैलाकर इस नेक कार्य का हिस्सा बन सकते हैं। हालांकि हरे राम पांडेय ने आज तक झोली नही फैलाई है। लेकिन दृष्टि नाउ अपील करता है आइए, मिलकर इन बच्चियों के भविष्य को और उज्ज्वल बनाएँ।
वैसे हरे राम पांडे जी का जीवन हमें सिखाता है कि एक व्यक्ति का संकल्प समाज में कितना बड़ा बदलाव ला सकता है। उनकी यह कहानी न केवल प्रेरित करती है, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने स्तर पर क्या योगदान दे सकते हैं।






