APP:-रांची में 83 हजार से अधिक वादों का हुआ निष्पादन, जामताड़ा में 15980 मामले
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प्रेरणा चौरसिया
Drishti Now Ranchi
राष्ट्रीय लोक अदालत का उदघाटन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। रांची में राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए न्यायिक दण्डाधिकारियों के लिए 23 बेंच एवं कार्यपालक दण्डाधिकारियों के लिए 19 बेंच का गठन किया गया था। राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 83 हजार से अधिक वादों का निष्पादन किया गया एवं 7.5 करोड़ से अधिक रूपयों की समझौता राशि की वसूली विभिन्न वादों से की गयी।.
राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन के लिए पूर्व से जिला प्रशासन के सहयोग से 6 लाख से अधिक बेनिफिशियरिस को विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ दिलाया गया, उन्हें लगभग 125 करोड़ से अधिक राशि की योजनओं से लाभूकों को दिया गया। उदघाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय, श्री रशिकेष कुमार, अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, संजीता श्रीवास्तव, पी.ओ.,एम.ए.सी.टी., श्री मनिष, सचिव, डालसा, श्री राकेश रंजन, अध्यक्ष, आर.डी.बी.ए, रांची, श्री सम्भू प्रसाद अग्रवाल, सचिव, आर.डी.बी.ए., रांची संजय विद्रोही, न्यायिक पदाधिकारी, मध्यस्थ, पैनल अधिवक्ता, पीएलवी एवं अन्य लोग कार्यक्रम में उपस्थित थे।
जामताड़ा में 5980 मामलों का निष्पादन
दूसरी तरफ जामताड़ा व्यवहार न्यायालय परिसर में लोक अदालत के माध्यम से मामले के निपटारे का प्रयास किया किया। राष्ट्रीय लोक अदालत में 15980 मामलों का निष्पादन होने की जानकारी दी गयी। लोक अदालत में मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए 8 बेंच का गठन किया गया था। राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन प्रधान जिला जज सह प्राधिकार के अध्यक्ष रंजीत कुमार, जामताड़ा उपायुक्त फैज हक अहमद, पुलिस कप्तान मनोज स्वर्गहारी, कुटुंब न्यायालय के प्रधान जज सचिंद्र नाथ पांडे, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मिहिर कुमार दुबे, डीएफओ ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।.
प्रधान जिला जज रंजीत कुमार ने कहा, लोक अदालत एक ऐसी अदालत है जहां न्यायालयों में लंबित मामले या मुकदमेबाजी से पहले की स्थिति से जुड़े मामलों का समाधान समझौते और सौहार्दपूर्ण तरीके से किया जाता है। इसमें विवादों के दोनों पक्ष के मध्य उत्पन्न हुए विवाद को बातचीत या मध्यस्था के माध्यम से उनके आपसी समझौते के आधार पर निपटारा किया जाता है। उपायुक्त फैज हक अहमद ने भी कहा कि इस तरह की पहले से लंबी कानूनी लड़ाई से लोग बच जाते हैं। आसानी से बातचीत कर मामला हल हो जाता है औऱ कोर्ट पर भी दबाव कम पड़ता है। कप्तान मनोज स्वर्गहारी ने कहा, लोक अदालत एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां लोगों को सुलभ तरीके से.
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