बोकारो विधायक श्वेता सिंह पर दो पैन कार्ड और गलत जानकारी देने का आरोप, जांच रिपोर्ट सीईसी को सौंपी
बोकारो विधायक श्वेता सिंह पर दो पैन कार्ड और गलत जानकारी देने का आरोप, जांच रिपोर्ट सीईसी को सौंपी
बोकारो डेस्क : बोकारो विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ दो पैन कार्ड, कई वोटर कार्ड और विधानसभा चुनाव के दौरान गलत जानकारी देने के आरोपों की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है। उपायुक्त विजया जाधव ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईसी) को सौंप दी है। भाजपा की ओर से लगाए गए इन आरोपों में विधायक पर नामांकन के समय शपथ पत्र में गलत सूचना देने का दावा किया गया है।
दो पैन कार्ड और अलग-अलग पिता का नाम
जांच में पाया गया कि श्वेता सिंह के पास दो पैन कार्ड हैं। एक पैन कार्ड रामगढ़ से (पैन नंबर: CECPS8218E) और दूसरा गुरुग्राम से (पैन नंबर: CWTPS5392A) जारी किया गया है। रामगढ़ के पैन कार्ड में पिता के स्थान पर उनके पति संग्राम सिंह का नाम दर्ज है, जबकि गुरुग्राम के पैन कार्ड में पिता का नाम दिनेश कुमार सिंह है। गुरुग्राम के पैन से कोई आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया गया, जबकि रामगढ़ के पैन से नियमित रिटर्न दाखिल होता है।
कई वोटर कार्ड का आरोप
मीडिया खबरों के अनुसार शिकायत में श्वेता सिंह के पास तीन वोटर कार्ड होने का दावा किया गया है। इनमें बोकारो विधानसभा क्षेत्र का वोटर कार्ड (पति: संग्राम सिंह, उम्र: 39 वर्ष), बिहार के झाझा विधानसभा क्षेत्र (जमुई) का वोटर कार्ड (पिता: दिनेश कुमार सिंह, उम्र: 43 वर्ष), और एक अन्य वोटर कार्ड शामिल हैं।
सरकारी बकाया और गलत शपथ पत्र
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जांच में यह भी सामने आया कि श्वेता सिंह पर बोकारो स्टील सिटी में आवंटित सरकारी क्वार्टर के किराए और बिजली बिल के तहत 45,000 रुपये से अधिक का बकाया है। इसके बावजूद, उन्होंने नामांकन के दौरान शपथ पत्र में सरकारी बकाया नहीं होने की जानकारी दी, जो गलत पाई गई।
भाजपा ने की कार्रवाई की मांग
17 मई 2025 को प्रदेश भाजपा ने राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार को ज्ञापन सौंपकर इस मामले की निष्पक्ष जांच और विधायक के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की मांग की थी। ज्ञापन में श्वेता सिंह पर गैरकानूनी कार्य करने और नामांकन पत्र में सूचना छिपाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
विधायक का जवाब
श्वेता सिंह के पति संग्राम सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केवल एक पैन कार्ड वैध है और गलती से पिता के स्थान पर पति का नाम दर्ज हो गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि एक वोटर कार्ड के अलावा अन्य कोई वैध नहीं है, क्योंकि मतदाता सूची का वार्षिक पुनरीक्षण होता है।
जाहिर है उपायुक्त ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सीईसी को भेज दी है। दो पैन कार्ड रखना आयकर अधिनियम और कई वोटर कार्ड रखना चुनावी नियमों का उल्लंघन माना जाता है। साथ ही, शपथ पत्र में गलत जानकारी देना भी गंभीर अपराध है। अब मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से अगली कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।