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हाई प्रोफ़ाइल व्यक्ति की जब CBI या ED के शिकंजे में गर्दन फंसती है हाथ में दर्द, बीपी डाउन, शुगर की शिकायत होने लगती है

मुकेश सिन्हा
हम आज बात करें है ऐसे हाई प्रोफ़ाइल व्यक्तियों की जो पहले अपने व्यक्तिव के बल पर कानून को ताक पर रखकर अनाप-शनाप तरीके से करोड़ों रुपए कमाते हैं और जब CBI या  ED के शिकंजे में गर्दन फंसती है तो उनकी नौटंकी शुरू हो जाती है. जैसे एक घपले घोटाले भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े जाते हैं अचानक से ही  उनकी तबीयत खराब हो जाती है और बीमार होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं, ऐसा महसूस होता है कि पुलिस वाले या  जेल के अधिकारी सोचते होंगे  हैं कि क्यों व्यर्थ में जोखिम उठाएं कहीं ऐसा तो नहीं कि सचमुच में बीमार हुआ हो , ऐसे में तो तुरंत उनके लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी या फिर आगे किसी तरह से जोड़ तोड़ कर सत्ता में आते हैं तो भी उनके लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी, इसलिए अपनी बला टालो और जाने दो उन्हें अस्पताल।  आखिर कब तक की बहानेबाजी कर कर अस्पताल में रहेगा कभी तो आएगा ऊंट  पहाड़ के नीचे।  वैसे दिल खोलकर भ्रष्टाचार करने वाले नेता का दिल उस समय जोरों से और धड़कने लगता है जब पुलिस उसे हिरासत में लेती है पुलिस भी समझ जाती है कि बड़ा ही हैसियतदार आदमी है तुरंत अस्पताल जाएगा , कानून तोड़ते समय वह बिल्कुल स्वस्थ तंदुरुस्त हिट एंड फिट रहता है लेकिन पकड़े जाने के बाद उसे तुरंत हाथ में दर्द, बीपी डाउन, शुगर की शिकायत होने लगती है आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है और फौरन एंबुलेंस से उसे उसके पसंदीदा डॉक्टर या अस्पताल भेज दिया जाता है.  जब तक नेता अस्पताल में है पुलिस उसका कुछ भी नहीं कर सकती नेता पुलिस सीबीआई सबका क्रूर चेहरा देखने से कहीं अच्छा हसीन  नर्स का सुंदर मुखड़ा देखा जाए इसलिए शायद हाई प्रोफाइल लोग पुलिस की गिरफ्त में आते ही अस्पताल जाने का सीधा रास्ता चुन लेते हैं  शायद अब तो समझ आ ही गया होगा की क्यों है प्रोफ़ाइल शश्सियत किसी केस में फंसता है या उसे सजा होती है, या फिर पुलिस उसे गिरफ्तार करती है तो उनकी तबियत बिगड़ जाती है  झारखण्ड के ही तमाम बड़े है प्रोफ़ाइल लोगो के किस्से है जो जेल जाने के बाद ज्यादातर समय जेल ने ना रहकर अस्पताल से ही सजा काटी है।
नोट- यह लेखक के अपने विचार है

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