रांची: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर कांग्रेस का राजभवन घेराव, विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आगामी जनगणना में सरना धर्म कोड को शामिल करने की मांग को लेकर आज रांची में राजभवन के समक्ष विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता और आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक परिधानों में शामिल हुए। सुबह 11 बजे शुरू हुए इस धरने का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने किया, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कांग्रेस का कहना है कि सरना धर्म, जो आदिवासी समुदाय की प्रकृति पूजा, जल-जंगल-जमीन की रक्षा और पारंपरिक रीति-रिवाजों पर आधारित है, को जनगणना में अलग कोड के रूप में मान्यता देना आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए आवश्यक है। प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो ने कहा, “झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है, जहां सरना धर्म की अपनी विशिष्ट पूजा-पद्धति और जीवनशैली है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए जनगणना में कोड हैं, लेकिन सरना धर्म के लिए अब तक कोई कोड नहीं है, जो आदिवासियों के साथ अन्याय है।”
कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 11 नवंबर 2020 को महागठबंधन सरकार ने झारखंड विधानसभा में सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था, लेकिन केंद्र ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। पार्टी का आरोप है कि जनगणना फॉर्म में सातवें कॉलम को हटाकर केवल छह कॉलम रखे गए हैं, जो आदिवासी समुदाय की धार्मिक पहचान को नजरअंदाज करने का प्रयास है।l
धरने में शामिल पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता, रमा खलखो, ओबीसी कांग्रेस अध्यक्ष अभिलाष साहू, आदिवासी कांग्रेस अध्यक्ष जोसाई मार्डी और महिला कांग्रेस अध्यक्ष गुंजन सिंह ने केंद्र सरकार से तत्काल सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा, “2011 की जनगणना में 50 लाख लोगों ने खुद को सरना धर्म का अनुयायी बताया था। यह आदिवासी समुदाय की पहचान का सवाल है, और हम इस लड़ाई को सड़क से संसद तक ले जाएंगे।”
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन किया है। झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि उनकी पार्टी ने पहले ही इस प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कर केंद्र को भेजा है, लेकिन केंद्र की चुप्पी आदिवासी समाज के साथ विश्वासघात है।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस प्रदर्शन को सियासी नाटक करार दिया। भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी, तब उसने सरना धर्म कोड को अव्यवहारिक बताकर खारिज कर दिया था। अब सत्ता से बाहर होने पर यह मुद्दा उठाना केवल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है।
कांग्रेस ने इस धरने के दौरान राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपने की घोषणा की है, जिसमें सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने की मांग दोहराई गई है। पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि मांग पूरी नहीं हुई, तो यह आंदोलन और तेज होगा, जिसमें दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन की योजना है।