इलाहाबाद हाईकोर्ट में ऑनलाइन क्रिकेट गेमिंग पर रोक की मांग, ड्रीम 11 और क्रिकेटरों के खिलाफ PIL
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हाल ही में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें ऑनलाइन क्रिकेट गेमिंग प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से ड्रीम 11 (Dream 11), पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस याचिका में ऑनलाइन गेमिंग को जुआ (gambling) के रूप में परिभाषित करते हुए इसे सामाजिक और आर्थिक नुकसान का कारण बताया गया है। याचिका में कई प्रसिद्ध क्रिकेटरों, जैसे एमएस धोनी, रोहित शर्मा, शिखर धवन, ऋषभ पंत, रविंद्र जडेजा, रिंकू सिंह, युजवेंद्र चहल, हार्दिक पांड्या, केएल राहुल, और यशस्वी जायसवाल, साथ ही कुछ अभिनेताओं को भी पक्षकार बनाया गया है। इन हस्तियों पर आरोप है कि वे अपने प्रभाव का उपयोग करके ऑनलाइन क्रिकेट गेमिंग को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे युवा सट्टेबाजी और जुए की लत में फंस रहे हैं।
याचिका का आधार और मांगें
याचिका में दावा किया गया है कि ड्रीम 11 जैसे ऑनलाइन क्रिकेट गेमिंग प्लेटफॉर्म वास्तव में जुआ हैं, जो न केवल अवैध हैं, बल्कि सामाजिक और नैतिक रूप से भी हानिकारक हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि ये प्लेटफॉर्म युवाओं को आकर्षित करने के लिए लोकप्रिय क्रिकेटरों और हस्तियों का सहारा लेते हैं, जो अपने विज्ञापनों और प्रचार के जरिए इन गेम्स को ग्लैमराइज करते हैं।जिससे लोगो को…..
युवाओं में जुए की लत: याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण युवा अपनी पढ़ाई, करियर और आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कई मामलों में, युवा पैसे कमाने के लालच में अपने परिवार की बचत तक को दांव पर लगा रहे हैं। आर्थिक नुकसान: ड्रीम 11 जैसे प्लेटफॉर्म पर पैसे लगाने के लिए लोग उधार ले रहे हैं, जिससे कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। याचिका में इसे “आर्थिक शोषण” का एक रूप बताया गया है। सामाजिक प्रभाव: ऑनलाइन गेमिंग को बढ़ावा देने से समाज में जुआ और सट्टेबाजी को सामान्य बनाने का खतरा है, जो नैतिक पतन का कारण बन सकता है। कानूनी उल्लंघन: याचिकाकर्ता का तर्क है कि ये प्लेटफॉर्म भारत में जुआ और सट्टेबाजी से संबंधित कानूनों, जैसे कि पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867, का उल्लंघन करते हैं। हालांकि, ड्रीम 11 जैसे प्लेटफॉर्म खुद को “कौशल आधारित गेम” (game of skill) बताते हैं, जो जुआ कानूनों के दायरे से बाहर माना जाता है। याचिका में निम्नलिखित मांगें की गई हैं:
ड्रीम 11 और अन्य समान ऑनलाइन क्रिकेट गेमिंग प्लेटफॉर्म पर पूर्ण प्रतिबंध।
इन प्लेटफॉर्म्स के विज्ञापनों और प्रचार को रोकना।
क्रिकेटरों और अन्य हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई, जो इन प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा दे रहे हैं।
ऑनलाइन गेमिंग की निगरानी और विनियमन के लिए एक नियामक प्राधिकरण की स्थापना।
केंद्र और राज्य सरकारों को ऑनलाइन गेमिंग के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए नीति बनाने का निर्देश।
पिछले कुछ वर्षों में, ड्रीम 11 के खिलाफ कई कानूनी चुनौतियां सामने आई हैं।: सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में ड्रीम 11 को “कौशल आधारित गेम” माना था, जिसके बाद इसे जुआ कानूनों के दायरे से बाहर माना गया। हालांकि, कुछ याचिकाओं में इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है।
राज्य सरकारों का हस्तक्षेप: तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों ने ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है, लेकिन कानूनी चुनौतियों के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हुए।
नैतिक और सामाजिक चिंताएं: कई विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने ऑनलाइन गेमिंग के नकारात्मक प्रभावों, जैसे लत और आर्थिक नुकसान, पर चिंता जताई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई और संभावित प्रभाव
यह याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष दायर की गई है, और अभी इसकी सुनवाई शुरू नहीं हुई है। कोर्ट के सामने मुख्य मुद्दा यह होगा कि क्या ड्रीम 11 जैसे प्लेटफॉर्म्स को जुआ माना जा सकता है, और क्या इन पर पूर्ण प्रतिबंध संवैधानिक और कानूनी रूप से उचित है।