सरकार लॉकडाउन के प्रभाव से आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक व्यवस्था पर आए गहरे संकट से निबटने की नीति को स्पष्ट करे : सुदेश.
रांची : झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि लॉकडाउन से प्रदेश के लाखों लोगों की रोजगार प्रभावित हुआ है। इस विषय पर मुख्यमंत्री से यह मांग किया है कि एक ठोस नीति के अनुसार मनरेगा श्रमिकों का रोजगार 100 से बढ़ाकर 200 दिन कर दिया जाय।
सुदेश महतो ने कहा कि मनरेगा ग्रामीण श्रमिकों की जीवनरेखा है। लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी मजदूर, लघु सीमांत किसान, कृषि श्रमिक और निर्माण श्रमिक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। ऐसे संकटकाल में ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से पिछड़े और लॉकडाउन के कारण प्रभावित लोगों को आर्थिक संबल प्रदान करने का सर्वाेत्तम उपाय मनरेगा योजना ही है।
व्यापार का ठप्प हो जाना और बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए, शहरी व प्रखंड क्षेत्रों में दिहारी कमाने वाले ऑटो/वैन चालक, ठेले-खोमचे वाले तथा छोटे व्यापार करने वालों के लिए भी एक आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा सरकार को करनी पड़ेगी।
सुदेश महतो ने कहा कि कोरोना महामारी का असर सिर्फ स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर ही नहीं पढ़ा है, बल्कि इसका प्रभाव जीवन के सभी क्षेत्रों पर है। कोरोना महामारी का शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा ही असर पड़ा है। खासकर स्कूली छात्र-छात्राएं इससे व्यापक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। हमारे मुख्यमंत्री जी को इस विषय पर गंभीर समीक्षा करने की जरूरत है।
फिलहाल स्कूल बंद होने की वजह से छात्रों को किताबें वगैरह उपलब्ध नहीं हो रहे हैं, घर पर कंप्यूटर, इंटरनेट या पर्याप्त संख्या में मोबाइल ना होने के कारण जहां ऑनलाइन पढ़ाई में छात्रों को परेशानियां हो रही हैं, वहीं लड़कों को लड़कियों पर प्राथमिकता दी जा रही है। कोरोना के कारण हुए आर्थिक तंगी के कारण लड़कियों की पढ़ाई छूटने का भी डर शामिल हो गया है।
आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों का कोरोना लॉकडाउन के बाद उनके घर में आर्थिक तंगी हो गई है और उनके पास खाने को भी पर्याप्त नहीं बचा है। ऐसे हालात में लाल कार्ड धारकों के तर्ज पर ग्रीन कार्ड धारकों के लिए भी समतुल्य राशन की व्यवस्था करनी होगी।
आजसू पार्टी के अध्यक्ष श्री सुदेश महतो ने आज कहा कि, झारखंड में आजतक लगभग 5,000 लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है और अभी भी हजारों लोग गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं। सुदेश महतो ने कहा कि कोरोना महामारी ने चारों तरफ से लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है, जिसके घर में किसी भी सदस्य को कोरोना होता है उन्हें बहुत मुश्किल उठानी पड़ती है। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके अपनों की मौत हो गई। घर में जो कमाने वाला था उसकी मौत हो गई। अब घर में कोई कमाने वाला नहीं है। कई बच्चे ऐसे हैं जिनके दोनों मां-बाप चले गए। कई बुजुर्ग हैं जिनके कमाने वाले जवान बच्चे चले गए। सरकार को यह सोचना होगा कि कोरोना के इस संकट काल में किस तरह हम लोगों की समस्या को दूर कर सकें।
हमारी मुख्यमंत्री जी से यह अपील है कि वे खुद इस विषय को गंभीरता से लेते हुए, झारखंड में लॉकडाउन खुलने के पश्चात रोजगार, आय व छात्रों का शिक्षा व उनकी भविष्य के लिए एक स्पष्ट नीति सुनिश्चित करें।