धनबाद के सदर थाने में दर्ज मामलों को सीबीआई ने टेकओवर किया
धनबाद के एडीजे उत्तम आनंद की हत्या के मामले में धनबाद के सदर थाने में दर्ज केस को सीबीआई ने टेकओवर किया है. सीबीआई के स्पेशल क्राइम सेल के द्वारा केस की जांच नए सिरे से की जा रही है. एएसपी रैंक के अधिकारी विजय कुमार शुक्ला केस का अनुसंधान कर रहे है. सीबीआई एसपी जगरूप एस सिन्हा के आदेश पर केस में जांच के लिए 20 सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है. एसआईटी में अलग से फोरेंसिक की टीम को भी शामिल किया गया है.
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सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, 30 जुलाई को झारखंड सरकार के गृह विभाग ने केस टेकओवर करने की अनुशंसा भेजी थी. इसके बाद भारत सरकार के डीओपीटी के द्वारा केस के अनुसंधान का आदेश जारी हुआ था. जिसके बाद सीबीआई के स्पेशल क्राइम सेल ने बीते 4 अगस्त को धनबाद के सदर थाने में दर्ज केस को टेकओवर किया था. सीबीआई को अनुसंधान में झारखंड पुलिस भी मदद कर रही है.
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चतरा के पिपरवार में एक युवक मोहम्मद सलमान की साल 2017 में 23 जून की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे सलमान की गोली मारकर हत्या की गई थी. वह चतरा जिले के पिपरवार थाना क्षेत्र के राजघर बहेरा गांव का रहने वाला था. हत्या का आरोप पिपरवार के तत्कालीन थानेदार विनोद कुमार सिंह, एएसआइ प्रेम कुमार मिश्रा, आर्म्स गार्ड रवि राम व पांच पुलिसकर्मियों पर लगाया गया था. इस मामले में सलमान के पिता अब्दुल जब्बार के बयान पर पिपरवार थाने में 24 जून 2017 को सभी आरोपितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हुई थी. मृतक के पिता ने न्याय के लिए झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सीबीआइ से जांच कराने की गुहार लगाई थी. हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने जनवरी 2019 में इस मामले को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज कर ली थी.
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पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में 8 जून 2015 को हुई कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 12 लोग मारे गए थे. इस मामले में सीबीआई दिल्ली ने प्राथमिकी दर्ज की थी. यह प्राथमिकी झारखंड हाइकोर्ट के 22 अक्टूबर 2018 को दिए आदेश पर दर्ज की गयी थी. इस घटना में पुलिस ने 12 लोगों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था. मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए हाइकोर्ट में सीआईडी की जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. सीबीआई ने पलामू के सदर थाना कांड संख्या 349/2015, दिनांक 09 जून 2015 के केस को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी
तीन अक्तूबर 2003 को धनसार थाना क्षेत्र के बीएम अग्रवाल कॉलोनी में गोली मारकर प्रमोद सिंह की हत्या कर दी गई थी. मृतक प्रमोद सिंह के कथित मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर रामधीर सिंह तथा राजीव रंजन सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया था. तत्कालीन सीएम बाबूलाल मरांडी की अनुशंसा पर मामला सीबीआई के हवाले किया गया था. सीबीआई ने अपनी जांच में रामधीर सिंह और राजीव रंजन को क्लीन चिट देते हुए मृतक प्रमोद सिंह के मृत्यु पूर्व बयान को झूठा बताया था. सीबीआई ने इस केस में कोल किंग सुरेश सिंह, सरायढेला थाना के तत्कालीन थानेदार मदन प्रसाद खरवार, अरशद, अयूब खान, हीरा खान, रणविजय सिंह और संतोष सिंह को आरोपी बनाया था.
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